वायनाड आपदा: अब तक 146 लोगों की मौत, सेना ने ऐसे बचाई 1000 लोगों की जान वायनाड में हुए इस हादसे के बाद केरल सरकार ने राज्य में दो दिनों का शोक घोषित किया है। भारतीय सेना, एनडीआरएफ समेत विभिन्न विभागों ने बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया है और इस आपदा के दौरान करीब 1000 लोगों की जान बचाई है।
सेना का योगदान
भारतीय सेना ने वायनाड जिले में बचाव अभियान के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सेना ने एक अस्थायी पुल की मदद से करीब 1000 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की। इलाके में स्थायी अवसंरचना के बह जाने के बाद सेना ने यह पुल बनाया था। बचाव अभियान में राज्य की टीम भी सक्रिय रूप से शामिल रही है, और नौसेना और वायुसेना ने भी समान रूप से योगदान दिया है।
भूस्खलन के कारण
वायनाड जिले में भारी बारिश के कारण यह भूस्खलन हुआ है। इलाके में भारी वर्षा और जमीन की नमी के कारण मिट्टी खिसक गई, जिससे यह आपदा हुई। भूस्खलन के कारण कई घर, सड़के और अन्य संरचनाएं ध्वस्त हो गई हैं। लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए सेना, एनडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर काम किया है।
146 लोगों की मौत
ताजा अपडेट के अनुसार, केरल के वायनाड में हुए लैंडस्लाइड के कारण अब तक कुल 146 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 143 शवों का पोस्टमॉर्टम पूरा हो चुका है। आधिकारिक रूप से 98 लोग लापता बताए जा रहे हैं, लेकिन यह संख्या बढ़ भी सकती है। मृतकों में कई बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, जो इस आपदा में फंस गए थे और उन्हें समय रहते निकालना संभव नहीं हो पाया।
खोजी कुत्तों का उपयोग
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि अंधेरा होने की वजह से बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोका गया है। इलाके में अब भी 18 से 25 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने के लिए नयी दिल्ली से कुछ खोजी कुत्ते लाए जा रहे हैं। इन कुत्तों की मदद से मलबे में दबे लोगों को ढूंढने में मदद मिलेगी।
सरकार की प्रतिक्रिया
केरल सरकार ने इस आपदा के बाद तुरंत कार्रवाई की और राज्य में दो दिनों का शोक घोषित किया। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन प्राप्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस हादसे में मारे गए हर व्यक्ति के परिजन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया।
राहत और बचाव अभियान
राहत और बचाव अभियान में सेना, एनडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर काम किया है। बचाव दलों ने मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए दिन-रात मेहनत की है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने राहत शिविरों की व्यवस्था की है जहां प्रभावित लोगों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
आगे की चुनौतियां
वायनाड में हुई इस भीषण आपदा के बाद राज्य सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे पहले, लापता लोगों को ढूंढना और उन्हें सुरक्षित निकालना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण और पुनर्वास कार्य भी शुरू करना होगा। राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र से सहायता मांगी है और जल्द ही राहत कार्यों को और तेज करने की योजना बनाई है।
वायनाड जिले में हुए भूस्खलन ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस आपदा में 146 लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। भारतीय सेना, एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों से करीब 1000 लोगों की जान बचाई गई है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर राहत और बचाव कार्यों को और तेज करने की कोशिश कर रही हैं। इस घटना ने एक बार फिर से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी तैयारियों को जांचने की जरूरत को उजागर किया है।