केरल के पहाड़ी जिले वायनाड में भारी बारिश और भूस्खलन ने भीषण तबाही मचाई है। भूस्खलन की कई घटनाओं में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने गांव के गांव को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे मकान और घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इस गंभीर स्थिति में सेना, रडार और डॉग स्क्वायड के साथ युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है।
भूस्खलन की घटनाएं और जान-माल का नुकसान
वायनाड में भूस्खलन की घटनाओं में अब तक 300 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। सैकड़ों लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। बचावकर्मी लगातार मलबे में दबे शवों और संभावित जीवित लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। इस आपदा ने पूरे इलाके को बुरी तरह प्रभावित किया है, जहां गांव के गांव पूरी तरह से तबाह हो गए हैं।
बचाव कार्यों में सेना की भूमिका
सेना द्वारा बचाव कार्यों में उन्नत तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेफ्टिनेंट कर्नल मोहनलाल ने अपनी 122 इन्फैंट्री बटालियन और टीए मद्रास के साथ वायनाड भूस्खलन क्षेत्र का दौरा किया और बचाव कार्यों में शामिल सभी कर्मियों का मनोबल बढ़ाया। सेना द्वारा 190 फुट लंबे ‘बेली ब्रिज’ का निर्माण पूरा करने के बाद खोज अभियान में तेजी आ गई है।
रडार और डॉग स्क्वायड की मदद
बचाव दलों ने रडार प्रणाली और डॉग स्क्वायड टीम का उपयोग करके भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की तलाश की। मुंडक्कई गांव में रडार प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए किसी आदमी या पशु द्वारा सांस लेने का संकेत मिला, जिससे वहां बचाव अभियान चलाया गया। हालांकि, वहां कुछ नहीं मिला, लेकिन यह तकनीक बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
ड्रोन और GPS की मदद
बचावकर्मी ड्रोन चित्रों और GPS निर्देशांकों का उपयोग करके मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रहे हैं। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मोबाइल फोन से प्राप्त अंतिम लोकेशन की मदद से बचाव कार्यों में तेजी लाई जा रही है। यह तकनीक बचावकर्मियों को सही स्थान पर पहुंचने में मदद कर रही है, जिससे अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके।
बुजुर्ग महिला का योगदान
वायनाड भूस्खलन हादसे के बाद व्यवसायी, मशहूर हस्तियां और संस्थाएं मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में लाखों-करोड़ों रुपये दान देने में जुटी हैं। इस बीच, कोल्लम जिले के पल्लीथोट्टम की रहने वाली बुजुर्ग महिला सुबैदा ने मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (CMDRF) को 10 हजार रुपये दान किए हैं। यह दिखाता है कि समाज के हर वर्ग का सहयोग इस आपदा में महत्वपूर्ण है।
राहत और बचाव कार्यों की चुनौतियां
वायनाड जिले के मुंडक्कई क्षेत्र में भूस्खलन के तीन दिन बाद बचावकर्मियों ने एक ही परिवार के चार लोगों को सुरक्षित निकाला। हालांकि, भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और अब तक 273 लोग घायल हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि 218 लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी खोज के लिए भारी मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है।
जनसंख्या की सुरक्षा और चेतावनी
केरल के लोक निर्माण मंत्री पी ए मोहम्मद रियास ने कहा कि जिला प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार 218 लोग अभी भी लापता हैं। आधार दस्तावेजों, पर्यटकों के विवरण, आशा कार्यकर्ताओं से पूछताछ और राहत शिविरों और अस्पतालों में लोगों से बात करने के बाद यह संख्या सामने आई है। मौसम विभाग ने भी अगले कुछ दिनों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
वायनाड में भूस्खलन की घटनाओं ने पूरे इलाके को बुरी तरह प्रभावित किया है। सेना, रडार, डॉग स्क्वायड और ड्रोन तकनीक की मदद से युद्धस्तर पर बचाव कार्य चलाया जा रहा है। इस आपदा में समाज के हर वर्ग का सहयोग महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। बचावकर्मी अपने जान की परवाह किए बिना मलबे में फंसे लोगों की जान बचाने में जुटे हुए हैं। यह दिखाता है कि आपदा के समय में मानवता और सहयोग का कितना महत्व है।