पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव 2024 के समाप्ति के बाद राजनीतिक हिंसा की आशंका के मद्देनजर चुनाव आयोग ने राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती को बढ़ाने का फैसला किया है। यह कदम राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। चुनाव आयोग ने केंद्रीय बलों की लगभग 400 कंपनियों की तैनाती को 19 जून तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय वर्तमान कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद लिया गया है।
चुनाव परिणाम और हिंसा की आशंका

पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम के बाद हिंसा की आशंका कोई नई बात नहीं है। बीते कुछ वर्षों में, विशेषकर विधानसभा चुनावों के बाद, राज्य में राजनीतिक हिंसा के कई मामले सामने आए हैं। चुनाव के बाद की हिंसा में कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जान भी गई है। इस बार भी, लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद राज्य में हिंसा की आशंका जताई जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए, चुनाव आयोग ने राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
तैनाती का उद्देश्य

केंद्रीय बलों की तैनाती का मुख्य उद्देश्य राज्य के संवेदनशील इलाकों में कानून-व्यवस्था को बनाए रखना है। चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि 19 जून तक केंद्रीय बल के सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे ताकि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद संभावित हिंसा को रोका जा सके। राज्य के विभिन्न जिलों में केंद्रीय बलों की मौजूदगी से राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच किसी भी प्रकार की झड़प को रोका जा सकेगा और आम जनता में सुरक्षा का भाव बना रहेगा।
पहले क्या था शेड्यूल
लोकसभा चुनाव 2024 के तहत पश्चिम बंगाल में सभी 42 सीटों पर मतदान हो चुके हैं। चुनाव आयोग ने पहले केंद्रीय बलों के जवानों को मतगणना के दो दिन बाद यानी 6 जून तक तैनात रखने का फैसला किया था। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए, अब इस तैनाती को 19 जून तक बढ़ा दिया गया है। यह निर्णय राज्य में संभावित हिंसा और कानून-व्यवस्था की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी की मांग
BJP नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कुछ दिनों पहले निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त विशेष पर्यवेक्षक से मुलाकात की थी। उन्होंने राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती को तीन महीने तक बढ़ाने की मांग की थी। अधिकारी का कहना था कि आचार संहिता के पूरा होने के बाद भी राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए केंद्रीय बलों की आवश्यकता है। उन्होंने इस संबंध में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, केंद्रीय गृह सचिव और राज्य के मुख्य सचिव को भी पत्र सौंपने की बात कही थी।
संभावित परिणाम और चुनौतियां

पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम के बाद की स्थिति को लेकर दोनों प्रमुख पार्टियों, तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तनाव की संभावना है। भाजपा, जो 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य में 18 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, इस बार और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। दूसरी ओर, ममता बनर्जी की TMC, जो 2014 में 34 सीटें जीत चुकी थी, अपने किले को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।
पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम के बाद हिंसा की आशंका को देखते हुए, चुनाव आयोग का केंद्रीय बलों की तैनाती को बढ़ाने का निर्णय एक आवश्यक कदम है। इससे राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने और चुनाव परिणाम के बाद संभावित हिंसा को रोकने में मदद मिलेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद राज्य में राजनीतिक स्थिति कैसी बनती है और क्या केंद्रीय बलों की तैनाती राज्य में शांति बनाए रखने में सफल होती है या नहीं।