पश्चिम बंगाल में चुनावी मौसम आते ही राजनीतिक हिंसा और तनाव का माहौल गहरा जाता है। हाल ही में पूर्वी मिदनापुर जिले के महिषादल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शेख मैबुल की हत्या ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। यह घटना 24 मई 2024 की रात की है, जब मतदान से ठीक पहले इस बर्बर हत्या ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी। टीएमसी ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ताओं ने इस हत्या को अंजाम दिया है।
घटना की विस्तृत जानकारी
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शेख मैबुल, जो ग्राम पंचायत के पूर्व सदस्य थे, शुक्रवार रात करीब 11 बजे एक पार्टी कार्यकर्ता को छोड़ने के बाद अपने घर लौट रहे थे। तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने धारदार हथियार से उन पर कई बार वार किया। हत्या के बाद हमलावरों ने उनकी बॉडी को तालाब में फेंक दिया। जब कुछ स्थानीय लोगों को इसका पता चला तो उन्होंने मैबुल की बॉडी को तालाब से निकाला और उन्हें अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पुलिस की जांच और राजनीतिक आरोप
पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। टीएमसी ने सीधे तौर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हत्या का आरोप लगाया है। इस घटना ने दोनों दलों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और अधिक भड़का दिया है।
पूर्व की घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान इस तरह की हिंसा हुई है। 22 मई को भी पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी, जिसमें बीजेपी की एक महिला कार्यकर्ता की मौत हो गई थी और सात अन्य कार्यकर्ता घायल हो गए थे। इसके अलावा, 20 मई को बैरकपुर में बीजेपी उम्मीदवार अर्जुन सिंह और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच भी झड़प की खबर सामने आई थी।
चुनावी चरण और हिंसा
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पश्चिम बंगाल में हर चरण के मतदान से पहले तनाव का माहौल देखने को मिलता है। 19 अप्रैल को वोटिंग से पहले कूचबिहार में भी टीएमसी और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी। इन घटनाओं से साफ है कि राज्य में चुनावी हिंसा एक गंभीर समस्या बन गई है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
टीएमसी और बीजेपी के बीच यह टकराव कोई नई बात नहीं है। दोनों दल एक-दूसरे पर हिंसा और गड़बड़ी का आरोप लगाते रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और बीजेपी पर राज्य में अराजकता फैलाने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह टीएमसी की साजिश है और राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है।
मीडिया और जनमानस की प्रतिक्रिया
इस घटना ने मीडिया और जनमानस में भी हलचल मचा दी है। लोग इस तरह की हिंसा की घटनाओं से दुखी और परेशान हैं। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर गुस्सा और नाराजगी जाहिर की जा रही है। लोग राज्य सरकार से इस तरह की घटनाओं पर कड़ा कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा और राजनीतिक तनाव ने राज्य की स्थिति को गंभीर बना दिया है। शेख मैबुल की हत्या ने इस बात को और स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करना बेहद जरूरी है। पुलिस को इस मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए और दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर न्याय के कठघरे में खड़ा करना चाहिए। इसके साथ ही, राजनीतिक दलों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए हिंसा से दूर रहकर चुनावी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
राज्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन और राजनीतिक दलों को मिलकर काम करना होगा। तभी लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी और जनता का विश्वास बहाल होगा।