बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में हाल ही में हुए घटनाक्रमों ने दिखाया है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है। नवंबर में हुए शिक्षा विभाग के चेयरमैन के बदले जाने के बाद बिहार के शिक्षा के क्षेत्र में कई समस्याएं सामने आई हैं। इन समस्याओं में प्रमुख हैं परीक्षा प्रणाली में लापरवाही, प्रश्न पत्रों की चोरी और अनियमितता। बिहार में हाल ही में हुए कुछ घटनाक्रमों ने शिक्षा प्रणाली की कमजोरियों को उजागर किया है।
आज से बिहार बोर्ड की 11वीं की परीक्षा है और 16 मार्च से नौवीं की परीक्षा होगी। लेकिन उन छात्रों के पास जो परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, उन्हें प्रश्न पत्रों की उपलब्धता में समस्या हो रही है। विभिन्न विद्यालयों में शिक्षक अपने विद्यालय कोड के अनुसार प्रश्न पत्रों को ढूंढने में असमर्थ हैं क्योंकि प्रश्न पत्रों के बंडल खुले आसमान के नीचे फेंके गए हैं। इससे शिक्षकों को प्रश्न पत्रों को ढूंढने में कठिनाई हो रही है।
यह समस्या मोतिहारी और छपरा जिले में भी देखने को मिली है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित नौवीं और ग्यारहवीं की परीक्षा के प्रश्न पत्रों के बंडल भी खुले आसमान के नीचे फेंके गए हैं। शिक्षक अपने विद्यालय कोड के अनुसार प्रश्न पत्रों को ढूंढने के लिए छत पर घूम-घूमकर लगे हैं।
इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही साफ दिख रही है। जब प्रेस से इस मामले पर पूछा गया तो शिक्षा अधिकारी कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं। यह समस्या बिहार के शिक्षा प्रणाली के लिए अत्यंत शर्मनाक है।
शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए बिहार के शिक्षा विभाग को कठिन निर्णय लेने की आवश्यकता है। प्रश्न पत्रों की चोरी और लापरवाही की सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि विद्यार्थियों को न्याय मिल सके और उनकी परीक्षा की योजना बिना किसी चिंता के हो सके।
शिक्षा विभाग को संज्ञान में लेकर इस समस्या का समाधान करने की आवश्यकता है। बिहार के शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा का लाभ मिल सके।