आज, 24 जून, 2024 से 18वीं संसद का पहला सत्र शुरू हो रहा है। इस सत्र के शुरू होने से पहले सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक (ऑल पार्टी मीटिंग) नहीं बुलाई गई, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। आइए विस्तार से समझते हैं कि इस बैठक के न होने का कारण क्या हो सकता है और इसके पीछे के नियम क्या हैं।
सर्वदलीय बैठक की परंपरा:
सर्वदलीय बैठक संसद सत्र के पहले बुलाई जाती है ताकि सत्र के दौरान विभिन्न दलों के बीच समन्वय और सहमति बनाई जा सके। यह बैठक अघोषित और अलिखित परंपरा के रूप में जानी जाती है, जो संसद के सुचारु संचालन के लिए महत्वपूर्ण होती है। इसमें सरकार सत्र के एजेंडे पर चर्चा करती है और विपक्ष को अपने मुद्दे उठाने का मौका मिलता है।
संविधान और सर्वदलीय बैठक:
संविधान में सर्वदलीय बैठक बुलाने की अनिवार्यता नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 85 में संसद के सत्र से संबंधित नियम दिए गए हैं, लेकिन इसमें सर्वदलीय बैठक का उल्लेख नहीं है। ऐसे में सरकार ने अगर सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई है, तो यह संविधान का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। हालांकि, परंपरागत रूप से इसे लंबे समय से अपनाया गया है।
पहले भी नहीं बुलाई गई थी सर्वदलीय बैठक:
यह पहला अवसर नहीं है जब विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई गई। पिछले साल भी सितंबर में हुए विशेष सत्र के दौरान सरकार ने ऐसी बैठक नहीं बुलाई थी, जिसके कारण विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। इस बार भी विपक्ष ने इस पर सवाल उठाया है कि आखिर सरकार सभी पार्टियों को एजेंडा क्यों नहीं बता रही है।
सत्र के प्रमुख कार्यक्रम:
18वीं संसद के इस पहले सत्र में कुल 10 दिनों में 8 बैठकें होंगी। सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण से होगी, इसके बाद अन्य सांसदों का शपथग्रहण होगा। 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा और 27 जून को राष्ट्रपति दोनों सदनों को संबोधित करेंगी। सत्र के आखिरी दो दिनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी।
विपक्ष की रणनीति:
विपक्ष इस सत्र में नीट परीक्षा में गड़बड़ी, यूजीसी नेट एग्जाम कैंसिलेशन, अग्निवीर योजना, तीन क्रिमिनल लॉ और लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद शेयर बाजार में हुई गड़बड़ी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरेगा। इसके अलावा, विपक्ष ईवीएम की विश्वसनीयता का मामला भी उठा सकता है।
नीट परीक्षा में गड़बड़ी का मुद्दा विशेष रूप से संसद में गूंजने वाला है। विपक्ष ने इस पर पहले ही कई सवाल उठाए हैं और सरकार से जवाब मांग रहा है। इसके अलावा, यूजीसी नेट एग्जाम कैंसिलेशन और अग्निवीर योजना को लेकर भी विपक्ष सरकार पर निशाना साधने की तैयारी में है।
सत्तापक्ष की तैयारी:
सत्तापक्ष ने विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हुई बैठक में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सूचना प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालविया ने सत्र को लेकर चर्चा की। इस बैठक में नीट परीक्षा के अलावा अन्य मुद्दों पर सदन में होने वाली चर्चा को लेकर मंथन किया गया।
सर्वदलीय बैठक न बुलाने पर हो रही चर्चा ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या परंपराओं का पालन जरूरी है या नहीं। संविधान में इसकी अनिवार्यता न होने के बावजूद, यह एक अच्छा कदम माना जाता है ताकि सत्र सुचारु रूप से चल सके और सभी दलों के बीच संवाद बना रहे।
इस सत्र में विपक्ष की रणनीति और सत्तापक्ष की तैयारी को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि सदन में जोरदार बहसें और हंगामे होने वाले हैं। उम्मीद है कि इस सत्र में देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीर चर्चा होगी और उचित समाधान निकाले जाएंगे।