झारखंड के नए मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, और इसमें शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन को मंत्री के पद पर नियुक्ति दी गई। शुक्रवार को बिरसा मंडप में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें उनके साथ 7 अन्य विधायक भी शामिल थे।
बसंत सोरेन के उपचुनाव में दुमका सीट से विजय का इतिहास हो चुका है, जहां उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार लुइस मरांडी को 6,842 मतों से हराया था। उनके पिता, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भूमिका भी झारखंडी राजनीति में महत्वपूर्ण है, लेकिन वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
बसंत सोरेन के साथ, झारखंड के नए मंत्रिमंडल में झामुमो के चाईबासा से विधायक दीपक बिरुआ और दुमका से बसंत सोरेन भी शामिल हैं। यह मंत्रिमंडल विभिन्न राजनीतिक दलों की एक मिश्रित योजना का प्रतीक है, जिसमें कांग्रेस के रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख भी शामिल हैं।
इस मंत्रिमंडल के गठन के बाद, मुख्यमंत्री ने विभागों का आवंटन करने की घोषणा की है और सभी मंत्रियों को उनकी जिम्मेदारियों का संबोधन किया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो राज्य के विकास और प्रगति की दिशा में नए उत्साह और संबंध लाने की उम्मीद कराता है।
इस वक्त, झारखंड की राजनीतिक सीना में ताजा उछाल आयी है, क्योंकि इस घटना ने न केवल सरकारी कार्यक्रमों के प्रारंभ को नक्शा बदलने का माध्यम बनाया है, बल्कि यह भी राजनीतिक दलों के बीच सहयोग और समझौते की संभावनाओं को बढ़ावा देता है।
झारखंड की विधानसभा में कुल 81 सदस्य हैं, जिनमें झामुमो के 47, भाजपा के 26, और आजसू के 3 विधायक हैं। इसके अलावा, कांग्रेस, राजद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भी एक-एक विधायक हैं, साथ ही दो निर्दलीय विधायक भी हैं।
झारखंड के नए मंत्रिमंडल के गठन के साथ, राज्य में नई राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हो चुकी है, जो उम्मीदवारों और नागरिकों के बीच नए आशाओं और संभावनाओं को जन्म दे रही है। यह एक सकारात्मक कदम है जो राज्य के विकास की दिशा में नए परिप्रेक्ष्य और नई दिशा देने के लिए प्रेरित कर रहा है।