18वीं लोकसभा का पहला सत्र 2024 में शुरू हो चुका है, और इस महत्वपूर्ण मौके पर संसद में सभी सांसदों की उपस्थिति खास महत्व रखती है। खासकर, विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ (Indian National Developmental Inclusive Alliance) के 234 सांसदों ने एकता और संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए संसद में एंट्री की। यह दृश्य न केवल संसद में बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
संसद में विपक्षी सांसदों की एकता का प्रदर्शन:
सत्र के पहले दिन, सभी विपक्षी सांसदों ने हाथ में संविधान की प्रति लेकर संसद में प्रवेश किया। यह पहले से तय योजना का हिस्सा था, जिससे यह संदेश दिया जा सके कि विपक्ष संविधान की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। संसद में प्रवेश से पहले, सभी विपक्षी सांसद महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने खड़े होकर एकजुटता का प्रदर्शन किया। इस दौरान उनके चेहरे पर मुस्कान और हाथ में संविधान की प्रति थी, जो उनके संकल्प और प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाती थी।
विपक्षी नेताओं के बयान:
इस अवसर पर टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी मांग संविधान की रक्षा करना है। उन्होंने बताया कि भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले समझौतों में पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल नहीं किया जाता है और सभी निर्णय एकतरफा लिए जाते हैं। इसी प्रकार, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी कहा कि वे संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने संविधान का उल्लंघन किया है। विशेष रूप से, प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक प्रावधानों और पूर्व के उदाहरणों का स्पष्ट उल्लंघन है।
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर विवाद:
आज भाजपा सांसद भर्तुहरि महताब को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रोटेम स्पीकर के तौर पर शपथ दिलाई। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू भी उपस्थित थे। हालांकि, कांग्रेस ने इस नियुक्ति का विरोध किया। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने नियमों को दरकिनार कर महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है, जबकि सुरेश को यह पद दिया जाना चाहिए था, जो 8वीं बार सांसद बने हैं, जबकि महताब 7वीं बार सांसद बने हैं। यह विवाद संसद सत्र के पहले ही दिन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
पीएम मोदी का वक्तव्य:
सत्र की शुरुआत से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि देश को चलाने के लिए सभी की सहमति जरूरी होती है और हम सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि देश को एक जिम्मेदार विपक्ष की जरूरत है, जो सरकार के कामकाज में रचनात्मक आलोचना और सहयोग दे सके।
विपक्ष का सत्र के दौरान एजेंडा:
इस सत्र के दौरान, विपक्ष कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने की तैयारी कर रहा है। नीट पेपर लीक मामला, जो हाल ही में काफी चर्चा में रहा है, संसद में गूंज सकता है। इसके अलावा, अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे कि संविधान के उल्लंघन, प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति, और राज्य सरकारों के अधिकारों को लेकर भी विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है।
संविधान की प्रति के साथ सांसदों का प्रवेश:
विपक्षी सांसदों का संविधान की प्रति के साथ संसद में प्रवेश एक प्रतीकात्मक कदम था, जो उनकी संवैधानिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कदम यह भी संकेत देता है कि वे संविधान की रक्षा और पालन के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। यह दृश्य न केवल सांसदों की एकता को दिखाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि वे संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
18वीं लोकसभा का पहला सत्र एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां विपक्ष और सरकार दोनों अपने-अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। विपक्षी सांसदों का संविधान की प्रति के साथ संसद में प्रवेश और महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एकजुटता का प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि वे संविधान की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। यह सत्र भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जहां कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और बहस होगी। सरकार और विपक्ष दोनों को मिलकर देश की भलाई के लिए काम करना होगा और संविधान की रक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।