लोकसभा चुनाव 2024 के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा दिया गया बयान एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। पंचकुला में एक सभा के दौरान राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि कांग्रेस सरकार के समय सिस्टम निचली जातियों के खिलाफ था। इस बयान को भाजपा ने अपने पक्ष में भुनाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कांग्रेस पार्टी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा।
राहुल गांधी का बयान: आत्मघाती गोल?
राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा, “मैं अंदर से व्यवस्था को जानता हूं। मैं कह रहा हूं कि यह व्यवस्था निचली जातियों के खिलाफ है, हर स्तर पर भंयकर तरीके से है।” इस बयान के बाद भाजपा ने तुरंत कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राहुल गांधी की जुबान से सच सामने आने के रूप में व्याख्या की। मोदी ने कहा, “राहुल गांधी ने बड़ा सच स्वीकार कर लिया है कि उनकी दादी, उनके पिता और मां के समय जो सिस्टम था वो दलित, आदिवासी, पिछड़ों को विरोधी रहा है।”
भाजपा का प्रतिवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी के बयान का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी दशकों तक दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की अनदेखी करती रही है। शहजाद पूनावाला ने कहा, “जो कांग्रेस पार्टी दशकों तक करती रही, आज वो सामने आ गया है।”
भाजपा ने इस मौके का उपयोग करके कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने निचली जातियों को लंबे समय तक सिस्टम से बाहर रखा और उनकी उपेक्षा की। यह आरोप कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, विशेषकर चुनावी माहौल में जहां निचली जातियों के वोट का महत्वपूर्ण स्थान है।
राहुल गांधी का उद्देश्य और परिणाम
राहुल गांधी का उद्देश्य शायद कांग्रेस सरकार के समय की गलतियों को स्वीकार कर सुधार की दिशा में कदम बढ़ाने का था। वे संभवतः यह दिखाना चाहते थे कि कांग्रेस ने अपनी गलतियों से सबक सीखा है और अब वे समाज के सभी वर्गों के हित में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, उनका यह बयान उल्टा पड़ गया और भाजपा ने इसे कांग्रेस के खिलाफ हथियार बना लिया।
छठे चरण का मतदान
लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण का मतदान 25 मई को होना है। इस दौरान आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 58 लोकसभा सीटों पर मतदान किया जाएगा। बिहार, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, दिल्ली, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सीटों पर इस चरण में मतदान किया जाएगा। चुनाव प्रचार 23 मई की शाम को थम जाएगा, और इसके बाद मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
राहुल गांधी का बयान और भाजपा की प्रतिक्रिया ने चुनावी माहौल में नया मोड़ ला दिया है। भाजपा ने इसे कांग्रेस की नीतियों और उनके नेताओं के असली चेहरे के रूप में पेश किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे कांग्रेस के दशकों पुराने सिस्टम की विफलता के रूप में देखा है, जो दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के खिलाफ रहा है।
राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस के लिए आत्मघाती गोल साबित हो सकता है, खासकर जब चुनावी माहौल पहले से ही गर्म है और सभी पार्टियां हर वोट को अपने पक्ष में करने के लिए जी-जान लगा रही हैं। अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस बयान के प्रभाव को कैसे कम करते हैं और अपनी स्थिति को कैसे संभालते हैं।
आखिरकार, चुनावी नतीजे ही बताएंगे कि इस बयान का मतदाताओं पर क्या असर पड़ा है, और क्या भाजपा इसे अपने पक्ष में भुना पाती है या कांग्रेस अपनी स्थिति को संभालने में सफल होती है।