ताइवान में चीनी सैन्य तानाशाह चियांग काई-शेक की सैंकड़ों मूर्तियों को हटाने की प्रक्रिया को लेकर एक बड़ी बहस चल रही है। ताइपे ने पूर्व चियांग काई-शेक के शासन की जांच के लिए 2018 में एक ट्रांजिशनल जस्टिस कमेटी बनाई थी, जिसने सार्वजनिक जगहों से हजारों मूर्तियों को हटाने की सिफारिश की थी। ताइवान की सरकार ने चीनी सैन्य तानाशाह के लगभग 800 मूर्तियों को हटाने का ऐलान किया है, जो लंबे समय तक द्वीप पर शासन करते रहे थे। चियांग की एतिहासिक विरासत आज भी ताइवान में एक बड़ी बहस का विषय है।
ताइपे के कैबिनेट अधिकारी शिह पु ने सोमवार (21 अप्रैल) को विधायिका को जानकारी देते हुए कहा कि आंतरिक मंत्रालय अब बाकी 760 मूर्तियों को भी हटा देगा। इस प्रक्रिया के दौरान बहुत से लोगों ने विरोध प्रकट किया है, क्योंकि वे मानते हैं कि चियांग की मूर्तियों को हटाने से उनकी विरासत को भुलाया जा रहा है।
चियांग काई-शेक, जिन्हें ताइवान के ‘निर्देशक दिवस’ के रूप में याद किया जाता है, ताइवान में अभी भी एक प्रमुख विवाद के केंद्र में हैं। चियांग के कार्यकाल के दौरान ताइवान की सैन्य अकादमियों की स्थापना की गई और उन्होंने द्वीप की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि, उनके शासन के दौरान उत्पन्न ताकत के कारण वे अपनी विरासत पर अमन और स्थायित्व लाने में सक्षम नहीं रहे।
ट्रांजिशनल जस्टिस कमेटी ने सार्वजनिक जगहों से हजारों मूर्तियों को हटाने का सुझाव दिया था, जिसमें चियांग की मूर्तियां भी शामिल थीं। इस सिफारिश के बाद से ही इस विषय पर बहस जारी है। एक पक्ष यह मानता है कि चियांग को सम्मानित करना एक सैन्य परंपरा का हिस्सा है, क्योंकि उन्होंने ताइवान की सेना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके विपक्ष में, अन्य लोग इसे चीन के पक्षपाती शासन के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं और चियांग की मूर्तियों को हटाने की मांग कर रहे हैं।
ताइवान में कुछ लोगों का मानना है कि चियांग को उनकी सफलताओं के साथ तौला जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ताइवान की आर्थिक समृद्धि के मार्ग बनाया और उसकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। वे केएमटी पार्टी के प्रमुख रूप में अभी भी सक्रिय हैं और इस बहस में उनका एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
चियांग काई-शेक के शासन के दौरान ताइवान में कई विवादों और हिंसात्मक घटनाओं का सामना हुआ था। उन्होंने चीन के विरुद्ध एक कठोर स्थानांतरण नीति को अपनाया और कम्युनिस्टों के साथ लड़ाई की। इसके परिणामस्वरूप, ताइवान में उनके शासन के दौरान अन्याय और उत्पीड़न की घटनाओं का भी सामना हुआ। इसलिए, चियांग की मूर्तियों को हटाने के फैसले को लेकर ताइवान में विवाद तेज है।
चीन और ताइवान के बीच इस विवाद से उन्नति नहीं हो रही है। चीन ने ताइवान की आजादी का मान्यता नहीं की है और इसे अपना हिस्सा मानता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बना रहता है। चीन द्वारा ताइवान के विरोध के तहत चियांग काई-शेक की मूर्तियों को हटाने की मांग को भी बढ़ावा देने के लिए यह विवाद एक तरह से चीन-ताइवान संबंधों को भी प्रभावित कर रहा है।