आरजेडी ने पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मनोज झा और संजय यादव को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। कहा जा रहा है कि संजय यादव को उम्मीदवार बनाकर तेजस्वी ने दोस्ती निभाई है।
पटना: बिहार में नीतीश कुमार के बहुमत साबित करने के बाद अब राज्यसभा के चुनाव का मौका है। राज्य में छः राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। विधायकों की संख्या के आधार पर माना जा रहा है कि तीन सीटें एनडीए और तीन सीटें महागठबंधन के खाते में जाएंगी। इसमें जेडीयू की तरफ से संजय झा और बीजेपी की ओर से भीम सिंह तथा महिला नेत्री धर्मशीला गुप्ता को उम्मीदवार बनाया गया है।
RJD से संजय यादव और मनोज झा उम्मीदवार
वहीं आरजेडी ने मनोज झा और संजय यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं एक अन्य सीट पर कांग्रेस ने अखिलेश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। 15 फरवरी को नामांकन की आखिरी तारीख है और 20 फरवरी तक प्रत्याशी अपना नाम वापस ले सकते हैं। उम्मीदवारों के ऐलान के बीच सबसे ज्यादा चर्चा आरजेडी के संजय यादव ने बटोरी। इनके नाम के ऐलान के बाद से इनका इतिहास खोजा जाने लगा।
आपको बता दें कि संजय यादव मूलरूप से हरियाणा के निवासी हैं, परन्तु पिछले कई सालो से वह पटना में रह रहे हैं। संजय यादव को तेजस्वी यादव का सबसे करीबी कहा जाता है। संजय यादव ही परदे के पीछे रहकर तेजस्वी का सभी कामकाज देखते हैं। वह ही उन्हें राजनीति के तम इनपुट मुहैया कराते हैं। इसके साथ ही वह तेजस्वी यादव के मंच का भाषण इत्यादि भी तैयार करते हैं।
सार्वजनिक तौर पर तेजस्वी और संजय को साल 2012 से साथ देखा गया है। लेकिन यह दोस्ती उससे भी पुरानी है। जानकारी के अनुसार, तेजस्वी यादव जब आईपीएल खेला करते थे तब संजय की उनसे मुलाकात हुई थी और यह मुलाकात गहरी दोस्ती में बदल गई। कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री के साथ एमबीए संजय एक कंपनी में नौकरी किया करते थे।
तेजस्वी ने संजय को पटना बुलाया
क्रिकेट से मन हटने के बाद तेजस्वी राजनीति में आये। पिता लालू यादव ने उन्हें अपना वारिस बना दिया। इसके बाद तेजस्वी ने संजय यादव को पटना बुला लिया। संजय ने भी दोस्ती निभाते हुए बिना संकोच किए तेजस्वी के साथ आये। यहां वह तेजस्वी के साए की तरह रहने लगे। संजय उनके राजनीतिक सलाहकार के तौर पर काम करने लगे और उनकी बातों का असर भी तेजस्वी पर दिखा।
10 लाख नौकरी देने का आइडिया संजय का ही
2015 में पहली बार उन्होंने आरजेडी के लिए चुनावी रणनीति बनाई। इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव ने उनकी बड़ी परीक्षा थी। इस परीक्षा में उन्होंने कड़ी मेहनत की और उसका फल भी सामने आया। आरजेडी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उन्होंने ही एनडीए के ‘जंगलराज’ के नारे को काउंटर करने के लिए 10 लाख नौकरी देने की रणनीति बनाई।
आरजेडी के संगठन को नए दौर में ढाला
कहा जाता है कि आज जो सोशल मीडिया पर राजद की तत्परता और आक्रमता दिखती है, उसके पीछे भी संजय यादव की ही दिमागका नजरिया है। उन्होंने ने बिहार के सभी जिलों के संगठन को सोशल मीडिया पर लाया। इस काम के लिए एक प्रॉपर आईटी सेल का निर्माण किया, इसमें पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं की भर्ती की और इसके सञ्चालन की जिम्मेदारी भी अपने ही कंधों पर ली। मेहनत ने कमल दिखाया और आज आरजेडी समर्थक सोशल मीडिया पर अपनी बात मुखरता से रखते हैं।