सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और IIT कानपुर के साथ शुरू हुआ है एक नया तकनीकी क्षेत्र, डी2एम नेटवर्किंग, जिससे हम बिना इंटरनेट के मोबाइल पर मूवी देख सकेंगे।
D2M नेटवर्किंग क्या है?
D2M नेटवर्किंग एक नई प्रकार की नेटवर्किंग है, जो डिवाइसों को मेटावर्से में एक-दूसरे से जोड़ने की अनुमति देती है। इसका मुख्य उद्देश्य डिवाइसों को एक साथ काम करने, कम्यूनिकेट करने, और डेटा शेयर करने की अनुमति देना है, जिससे मेटावर्से में अधिक संपूर्ण बन सकता है।
D2M नेटवर्किंग के लाभ:
तेज डेटा ट्रांसफर: D2M नेटवर्किंग डिवाइसों को अधिक कुशलता से जोड़ने की अनुमति देता है, जिससे डेटा का त्वरित ट्रांसफर होता है और नेटवर्क पर भार कम होता है।
अधिक सुरक्षित जुड़ाव: D2M नेटवर्किंग सुरक्षित तरीके से डिवाइसों को जोड़ने की अनुमति देता है, जिसके लिए मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल का उपयोग होता है।
ऑटोनोमस कार्य: D2M नेटवर्किंग डिवाइसों को अधिक ऑटोनोमस तरीके से कार्य करने की अनुमति देता है, जिससे वे एक-दूसरे के साथ संवाद कर सकते हैं।
D2M नेटवर्किंग कैसे काम करता है?
D2M नेटवर्किंग ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट का एक मिश्रण है जो एफएम रेडियो प्रसारण की तकनीक का उपयोग करता है। उपकरण एक-दूसरे के साथ रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करके संवाद करते हैं।
D2M नेटवर्किंग का उपयोग:
मेटावर्से: D2M नेटवर्किंग मेटावर्से को वास्तविक स्थान बनाने में मदद कर सकता है, जहां लोग एक-दूसरे के साथ अधिक नेचुरल तरीके से जुड़ सकते हैं।
ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR): D2M नेटवर्किंग AR और VR एप्लिकेशन्स को अधिक कॉर्डिनेटेड बनाने में मदद कर सकता है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): D2M नेटवर्किंग IoT डिवाइसेस को एक-दूसरे के साथ आसानी से जोड़ने और डेटा साझा करने की अनुमति दे सकता है।
इस प्रौद्योगिकी के जरिए हम बिना इंटरनेट के भी एक नए दौर में एंटरटेनमेंट का आनंद ले सकते हैं, जो आने वाले समय में हमारी जिंदगी को और भी रोचक बना सकता है।