एक समय था जब अच्छे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे इंजीनियर डॉक्टर बना करते थे। लेकिन अब हमारे देश के गाँव-गाँव के बच्चे टैलेंटेड हो चुके हैं। ये बच्चे स्कूल पूरा करते ही अपने टैलेंट के जरिए ऐसी-ऐसी चीजों का निर्माण कर देते हैं, जिसके बाद वह देशभर में तारीफ का विषय बन जाते हैं। इन दिनों एक ऐसे ही गाँव के बेटे की तारीफ़ हो रही है।
प्लास्टिक से बनाया पेट्रोल
हम बात कर रहे हैं बिहार के बक्सर के राजपुर प्रखंड क्षेत्र के नागपुर गांव के रहने वाले विकास कुमार के बारे में। उन्होंने ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो बड़े से बड़े वैज्ञानिक भी नहीं कर सके। 15 साल के विकास ने अपना दिमाग लगाकर कचरे के प्लास्टिक से पेट्रोल तैयार कर सभी को चौंका दिया है। विकास नौंवी के छात्र हैं। उनका ये कारनामा देखकर हर कोई हैरान है। विकास राजमिस्त्री के बेटे हैं। ऐसे में उनसे किसी ने इतने बड़े प्रयोग की उम्मीद नहीं की थी।
1500 रुपये में बनाई मशीन
विकास चार महीने से कड़ी मेहनत से अपने इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। सबसे पहले तो विकास ने 1500 रुपये से एक मशीन बनाई, जिससे प्लास्टिक से पेट्रोल बना सके। उन्होंने अपना ये प्रोजेक्ट साइंस विज्ञान मेले में प्रस्तुत किया, जिसके बाद उनकी हर जगह तारीफ़ हुई। इस काम में विकास का साथ उनके टीचर ने भी दिया। हालांकि, विकास द्वारा बनाए गए पेट्रोल को अभी गाड़ी में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। पहले उसे फ्यूरीफिकेशन की जरूरत है।
टीचर ने की तारीफ़
नुआव मिडिल सरकारी स्कूल के साइंस के शिक्षक संदीप कुमार ने बताया कि, ‘जब बच्चों ने पूछा कि कोयले से चारकोल और अलकतरा बनाया जा सकता है तो कचरा के प्लास्टिक से कुछ क्यों बन सकता है सर? तो हमने बताया और फिर इस पर काम किया। अभी तक जिले में इस विद्यालय का विज्ञान प्रदर्शनी हुआ था जिसमें प्रथम स्थान मिला। आगे हम लोग राज्य स्तर तक तैयारी कर रहे हैं।’
पहले भी कर चुके हैं अनोखे प्रयोग
यह पहली बार नहीं है जब विकास ने कोई अनोखा कारनामा किया हो। इससे पहले वह गूगल कंट्रोल मशीन भी बनाया था। जिसके माध्यम से घर के पंखे, लाइट, टीवी इत्यादि कही से भी ऑन और ऑफ किया जा सकता है।