Navratri 2023 का आगमन आते ही धार्मिक उत्सव की तैयारियों में हर कोने से बुलंदी आ जाती है। मां दुर्गा की पूजा का हर क्षण अद्वितीय है और इस अवसर पर मूर्ति बनाना एक महत्वपूर्ण क्रिया है। इसमें एक विशेषता है – मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का उपयोग होता है।

नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर मां दुर्गा की मूर्ति निर्माण की यह प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो जाती है। यहां एक रोचक बात है कि इस मूर्ति निर्माण में वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। आपको यह समझने में हैरानी हो सकती है कि ऐसा क्यों होता है, लेकिन इसके पीछे कुछ अद्भुत कथाएं और मान्यताएं छिपी होती हैं।

1. पौराणिक कथा:-एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गंगा स्नान के लिए जा रही वेश्याएं ने एक कुष्ठ रोगी को देखीं। बाकी सभी लोग उसकी गुहार नहीं सुनना चाहते थे, लेकिन वेश्याएं ने उसे सुना और उन्हें गंगा स्नान कराया। इसके बाद पता चला कि रोगी और कोई नहीं भगवान शिव स्वंम अपना रूप बदलकर लोगो की परीक्षा ले रहे थे।तभी शिवजी ने वेश्याओं से प्रसन्न होकर उसे एक वरदान मांगने को कहा फिर वेश्याओं ने कहा की हमे ऐसा वरदान दे की हमारे आंगन की मिट्टी से ही मां दुर्गा की प्रतिमा बने,तभी भगवान शिव मुश्कुराते हुए बोले “तथावस्तु” | इस प्रकार वेश्याओं के आंगन से लाई जाने वाली मिट्टी को भगवान शिव का आशीर्वाद समझकर लोग उससे मां दुर्गा की मूर्ति बनाई जाने लगी।

2. धार्मिक परंपरा:-धार्मिक दृष्टिकोण से, वेश्याओं के आंगन की मिट्टी को पवित्र माना जाता है. व्यक्ति जो वेश्यालय जाता है, तो वह अपने पुण्य कर्म और पवित्रता को द्वार पर ही छोड़कर भीतर जाता है। इस प्रकार वेश्याओं के आंगन से मिली मिट्टी को पवित्र माना जाता है इसलिए, मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए इस मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है.

3. पुरानी परंपरा:-एक और मान्यता के अनुसार, प्राचीन समय में मंदिरों के पुजारी वेश्याओं के पास जाते थे और उनके द्वार पर ही खड़े रहकर उनसे उनके आंगन की मिट्टी मांगकर लाते थे। और तब जाकर मूर्ति बनाते थे | इस प्रक्रिया से मां दुर्गा की मूर्ति पूरी मान्यता प्राप्त करती थी, और इस तरीके से वह मूर्ति पूर्ण मानी जाती थी।

4. संबंध एवं आदर्शवाद:-वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल करके, समाज में सामाजिक संबंध और आदर्शवाद को प्रमोट किया जाता है. यह दिखाता है कि भगवान की प्रतिष्ठा किसी विशिष्ट स्थान से नहीं आती, बल्कि भक्ति और पवित्रता से होती है.
5. प्राकृतिक सौंदर्य:-वेश्याओं के आंगन से लाई जाने वाली मिट्टी में प्राकृतिक सौंदर्य होता है. यह मां दुर्गा की मूर्ति को एक अद्वितीय और सुंदर रूप देता है |

इस परंपरा के बाद से ही, वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए होता आया है. यह सिद्ध करता है कि भगवान की पूजा के लिए सभी प्राणियों और समाज के सभी वर्गों को समाहित किया जा सकता है, और पवित्रता का स्रोत कहीं भी हो सकता है.