भारत और नेपाल के बीच हाल ही में नोट के चलते उत्पन्न हुई खलबली और उसके संबंधित घटनाओं के परिणामस्वरूप उठे गए सवालों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत परीक्षण के लिए खड़ा किया है। इस प्रकार, नेपाल द्वारा 100 रुपये के नए नोट पर कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र के चित्र छापने का निर्णय भारतीय सरकार द्वारा खिलाफी का मुद्दा बन गया है।
जयशंकर के वक्तव्य से प्रकट होता है कि भारत नेपाल के चित्रों के इस्तेमाल के प्रति आपत्ति जताता है, क्योंकि यह एक ऐसी क्रिया है जो दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को और ज्यादा बढ़ावा देती है। इससे साथ ही, नेपाल के इस नए नोट के प्रस्तावित चित्रों को लेकर भारत के विपक्ष में विवाद उत्पन्न हो रहा है। भारत के प्रति नेपाल के इस प्रकार के कदम को विदेश मंत्री जयशंकर ने ‘संवेदनशील’ और ‘अस्वीकार्य’ बताया है।
जयशंकर ने भी इस बात को उजागर किया कि पड़ोसी देशों के साथ आपसी संबंधों में कई बार राजनीतिक पेचीदगियों का सामना करना पड़ता है और इस दौरान अपने और उनके हित में संतुलन बनाना जरूरी होता है। वे भारत के लिए सभी पड़ोसी देशों के सकारात्मक रवैये की आशा करते हैं, लेकिन उन्होंने भी साबित किया कि ऐसा होना आसान नहीं है।
नेपाल द्वारा कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र को शामिल करने के तत्वावधान की आवश्यकता है क्योंकि यह कदम सीमा विवाद को और अधिक जटिल बना सकता है और दोनों देशों के बीच संबंधों को क्षति पहुंचा सकता है। भारत और नेपाल के बीच कदम उठाने की जगह, दोनों देशों को सीमा समस्याओं को विश्वसनीय और आपसी समझ से हल करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। यह समय है कि दोनों देश आपसी सहमति पर आधारित और सटीक संवेदनशीलता के साथ अपने विवादों का समाधान करें।
अखिरकार, जयशंकर ने बातचीत और समझौते के माध्यम से ही दोनों देशों के बीच की विवादों को हल करने की आवश्यकता को उजागर किया है। वहीं, नेपाल सरकार को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह ऐसे निर्णय लेने से पहले अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग और चर्चा का मार्ग अपनाए। दोनों देशों के बीच विश्वास और समझदारी के माध्यम से ही सटीक और संवेदनशील समाधान मिल सकता है जो कि दोनों देशों के लिए शांति और सुरक्षा का स्रोत बनेगा।