इमरान खान, जिन्हें पाकिस्तान के तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सुप्रीमो के रूप में जाना जाता है, की मुश्किलें बढ़ गई हैं जब उन्हें अडियाला जेल में बंद किया गया है। उन्हें दो सप्ताह तक लोगों से मुलाकात करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। यह फैसला पाकिस्तान की रावलपिंडी के अडियाला जेल की प्राधिकरणों ने लिया है।
पीटीआई ने इस फैसले को फासीवादी कहा है और इसके खिलाफ आपत्ति जताई है। उनके अनुसार, यह सरकार द्वारा इमरान की आवाज को दबाने की एक और कोशिश है। पार्टी ने इसे एक खतरे के रूप में भी देखा है और दावा किया है कि इमरान की जान खतरे में है।
इमरान खान को सितंबर 2023 में अडियाला जेल में लाया गया था, और उनकी जेल की सजा काट रहे हैं। उन्हें अपने वकीलों, पार्टी नेताओं और परिवार के सदस्यों से मुलाकात की अनुमति थी, लेकिन अब इसे रोक दिया गया है।
यह फैसला पंजाब गृह विभाग की अधिसूचना के आधार पर किया गया है, जिसमें खुफिया एजेंसियों द्वारा साझा किए गए खतरे के अलर्ट का जिक्र है।
इमरान खान की जब्तगिरी का मामला पाकिस्तानी राजनीति में एक महत्वपूर्ण संघर्ष बन गया है। उनकी पार्टी ने उनकी जेल में जब्तगिरी को राजनीतिक विरोध का मुद्दा बनाया है, और उनके समर्थक उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं।
इमरान खान को सिर्फ राजनीतिक मुद्दों में ही नहीं, बल्कि कई विभिन्न विधिक मामलों में भी अदालतों के द्वारा जब्त किया गया है। उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, और उन्हें उनके कई कार्यकाल के दौरान घोषित किए गए आदेशों की उल्लंघन का भी आरोप लगा है।
इसके अलावा, हाल ही में जो राजनीतिक परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं, वे इमरान खान के लिए और अधिक मुश्किलें बना देने वाली हैं। जरदारी के पाकिस्तान के प्रेसिडेंट बनने पर उन्हें आपत्ति जताई गई है, और उन्होंने इसे ‘असंवैधानिक और अस्वीकार्य’ बताया है।
साथ ही, इमरान खान के विरोध में लोगों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं, और इससे पाकिस्तान की राजनीतिक वातावरण में उठापटक का माहौल है।
इस पूरे विवाद से स्पष्ट है कि इमरान खान की राजनीतिक स्थिति कमजोर हो रही है, और उन्हें अपनी बचाव की जरूरत है। वे अपने समर्थकों के साथ मिलकर इस संघर्ष का सामना कर रहे हैं, लेकिन उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।