बिहार के राजनीतिक मंचों में हर बार हलचल और उतार-चढ़ाव होता रहता है, और इस बार भी लोकसभा चुनाव के पहले ही महौल गरम हो गया है। इस बार की चुनावी अटकलें उसी तरह से उत्साह और उतार-चढ़ाव भरी हैं। एक बड़ी चुनौती का सामना बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन के परिवार को हो रहा है, जहां उनकी पत्नी और बेटे ने जेडीयू के साथ जुड़ने का फैसला किया है।
जेडीयू के दामन में हाथ बढ़ाने का यह फैसला खुद में ही एक महत्वपूर्ण संकेत है। बिहार की राजनीति में एनडीए और जेडीयू के बीच सदियों से चली आ रही यात्रा की दृष्टि से यह एक बड़ा घटनाक्रम है। लवली आनंद, जो कि आनंद मोहन की पत्नी हैं, और उनका बेटा अंशुमन आनंद, दोनों ही जेडीयू में शामिल हो गए हैं।
यह निर्णय सिर्फ राजनीतिक गतिविधियों को ही नहीं प्रभावित करेगा, बल्कि इसका सीधा प्रभाव बिहार की राजनीतिक दलों के भविष्य पर भी होगा। जेडीयू के नेतृत्व में लवली आनंद और उनके बेटे की शामिली ने बिहारी राजनीतिक मंचों को उनकी विशेष रणनीति की ओर से ध्यान खींचा है।
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह ने भी इस निर्णय का स्वागत किया और कहा कि लवली आनंद और अंशुमन आनंद का जेडीयू में शामिल होना पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
जेडीयू की इस नई योजना ने चुनावी मैदान को भी गरमा दिया है। अब सवाल यह है कि क्या लवली आनंद और अंशुमन आनंद के जुड़ने से जेडीयू को चुनावी अभियान में फायदा होगा या नुकसान, यह वक्त ही बताएगा। लेकिन इसका प्रभाव बिहारी राजनीतिक दलों के बीच तेजी से दिखाई दे रहा है।
इसके साथ ही, जेडीयू की इस नई घटना ने बिहार के राजनीतिक समीकरण को भी बदल दिया है। अगर लवली आनंद और अंशुमन आनंद को जेडीयू से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट मिलता है, तो यह बिहार की राजनीतिक मंच पर एक नई कड़ी डाल सकता है।