प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा के दो दिन का संघर्ष और रोमांच, जो 21 और 22 मार्च 2024 को होने वाली है, गहरी राजनीतिक और भौगोलिक महत्वपूर्णता रखती है। यह यात्रा न केवल भारत और भूटान के बीच गहरी और स्थायी साझेदारी को मजबूत करेगी, बल्कि इससे चीन को भी एक चेतावनी मिलेगी।
भूटान, एक छोटा लेकिन गहरा देश, भारत और चीन के बीच आगे बढ़ रहे क्षेत्रीय गतिविधियों का केंद्र है। इसके अलावा, भूटान की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति बहुत ही नाजुक है, खासकर चीन के साथ विवादों के कारण। चीन का उद्देश्य हमेशा से था कि वह अपने गहन स्वायत्तता को बढ़ावा दे और भूटान को अपने दबाव में लेकर भारत से दूर रखें।
पीएम मोदी की भूटान यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत-भूटान संबंधों को मजबूत और निर्धारित बनाना है। इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री ने नारायण धर्माथ और प्रधानमंत्री ल्योन्चेन तोबगे के साथ बातचीत की होगी। उनका उद्देश्य होगा कि दोनों देशों के बीच एक सशक्त संबंध और सामर्थ्य की नींव रखी जाए, ताकि वे चीन के साथ बढ़ते भारत-भूटान संबंधों का सामना कर सकें।
भूटान की सीमा चीन के साथ कई विवादों का केंद्र रहा है। चीन का प्रयास हमेशा रहता है कि वह भूटान को अपने पक्ष में लेकर खड़ा करे। इस बात को ध्यान में रखते हुए, भारत ने हमेशा से भूटान के साथ सशक्त संबंध बनाए रखने का प्रयास किया है। पीएम मोदी की यह यात्रा चीन को भी संदेश देगी कि भारत और भूटान के बीच कितना मजबूत और अटल संबंध है, जो कि चीन के विचारधारा को चुनौती देता है।
भारत की पड़ोसी प्रथम नीति को मजबूत करने के लिए भी यह यात्रा महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, भूटान के साथ संबंधों को मजबूत करने से भारत अपने क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ा सकता है, जो कि राजनीतिक और रक्षा संबंधों में भी महत्वपूर्ण है।