ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने ब्रिटिश पार्लियामेंट को भंग कर दिया है, जिससे आगामी 4 जुलाई को होने वाले आम चुनाव की तैयारियाँ तेज हो गई हैं। यह फैसला अचानक लिया गया, जिससे पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मियाँ बढ़ गई हैं। आधी रात से ब्रिटिश संसद के 650 सदस्यीय सीटें खाली हो गई हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि चुनावी अभियान अब आधिकारिक रूप से शुरू हो गया है।
प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का निर्णय और उसके प्रभाव
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प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए संसद को भंग करने का निर्णय लिया, जबकि मौजूदा कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार का कार्यकाल दिसंबर 2024 में समाप्त होना था। ब्रिटेन के नियमों के अनुसार, चुनाव 28 जनवरी 2025 से पहले और 17 दिसंबर 2024 के बाद कराया जाना आवश्यक था। लेकिन पीएम सुनक ने 6 महीने पहले ही चुनाव कराने का फैसला किया। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने राजनीतिक समीकरणों और संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है।
चुनाव प्रचार और राजनीतिक दलों की स्थिति
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अब 4 जुलाई को आम चुनाव से पहले ब्रिटिश संसद भंग होने के बाद करीब 5 हफ्ते का वक्त चुनाव प्रचार के लिए बचा है। सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी, जो पिछले 14 सालों से सत्ता में है, इस बार कई चुनौतियों का सामना कर रही है। विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार, लेबर पार्टी की सत्ता में आने की संभावना अधिक है। इसके चलते कंजर्वेटिव पार्टी को अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
पीएम ऋषि सुनक के लिए बारिश को बताया अपशकुन
प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बारिश के दौरान चुनाव की घोषणा की, जिससे चुनाव प्रचार की शुरुआत धीमी रही। कई पर्यवेक्षकों ने इसे उनके लिए अपशकुन माना है। हालांकि, ऋषि सुनक का उद्देश्य जनमत सर्वेक्षणों में अपनी पार्टी की स्थिति को सुधारने का था। चुनाव प्रचार के दौरान प्रमुख मुद्दों में आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य सेवाएं, ब्रेक्जिट के प्रभाव और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख रहेंगे।
लेबर पार्टी और संभावित प्रधानमंत्री कीर स्टारमर
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यदि सर्वेक्षणों के अनुसार, लेबर पार्टी इस बार सत्ता में आती है, तो पूर्व मानवाधिकार वकील और विपक्ष के कद्दावर नेता कीर स्टारमर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं। लेबर पार्टी के पास 14 वर्षों तक विपक्ष में रहने के बाद दोबारा सत्ता हासिल करने का यह सुनहरा मौका है। कीर स्टारमर का नेतृत्व और उनकी नीतियाँ वर्तमान समय में जनता के बीच लोकप्रिय हो रही हैं, जिससे लेबर पार्टी की संभावनाएँ मजबूत दिख रही हैं।
कंजर्वेटिव पार्टी के सामने चुनौतियाँ
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जनमत सर्वेक्षणों में कंजर्वेटिव पार्टी लेबर पार्टी से दोहरे अंकों से पिछड़ रही है। इस स्थिति के कारण कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों में हताशा बढ़ गई है और बड़े पैमाने पर सांसदों ने पार्टी छोड़ दी है। इसके अतिरिक्त, 77 सांसदों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह स्थिति कंजर्वेटिव पार्टी के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है।
चुनाव प्रचार की शुरुआत और प्रमुख मुद्दे
अब जबकि चुनाव प्रचार आधिकारिक तौर पर शुरू हो चुका है, सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतर चुके हैं। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों का समर्थन प्राप्त करना होगा और जनता को यह विश्वास दिलाना होगा कि कंजर्वेटिव पार्टी ही देश को सही दिशा में ले जा सकती है। दूसरी ओर, लेबर पार्टी ने अपनी नीतियों और वादों के माध्यम से जनता का समर्थन जुटाने की कोशिश शुरू कर दी है।
ब्रिटेन की राजनीति में इस समय तेजी से बदलाव हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा संसद को भंग करने और 4 जुलाई को आम चुनाव की घोषणा ने राजनीतिक दलों को सक्रिय कर दिया है। चुनावी प्रचार जोर-शोर से शुरू हो चुका है और आगामी हफ्तों में राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को मूर्त रूप देने में व्यस्त रहेंगे। कंजर्वेटिव पार्टी के सामने जहां अपनी सत्ता को बचाने की चुनौती है, वहीं लेबर पार्टी के पास सत्ता में आने का सुनहरा मौका है। जनता के निर्णय से ही यह स्पष्ट होगा कि आगामी समय में ब्रिटेन की राजनीति किस दिशा में जाएगी और कौन देश का नेतृत्व करेगा।