बारामती सीट पर ननद और भाभी के बीच तनाव उभरा है, जिसमें सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार का मंदिर में हुआ आमना-सामना एक चर्चा का विषय बन गया है। यहां बताया जा रहा है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी सुनेत्रा पवार को बारामती लोकसभा क्षेत्र में सुप्रिया सुले के खिलाफ मैदान में उतार सकती हैं। यह एक राजनीतिक घटना है जिसमें परिवार के सदस्यों के बीच आपसी टकराव देखने को मिल रहा है।
बारामती क्षेत्र में सुप्रिया सुले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र-पवार) की सांसद हैं, जबकि सुनेत्रा पवार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी हैं। इस घटना के पीछे राजनीतिक दबाव और परिवारी बंदिशों का बड़ा हाथ है।
मंदिर में हुई आमना-सामना के बाद, सुनेत्रा पवार ने एक बयान में कहा कि उनकी मुलाकात सुप्रिया सुले से हुई और दोनों ने महाशिवरात्रि और महिला दिवस के अवसर पर शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया। यह आमना-सामना राजनीतिक मामले को लेकर बहुत सारे सवालों को उत्पन्न करता है, और यह दिखाता है कि चुनावी माहौल में कितना उतार-चढ़ाव है।
सुप्रिया सुले ने हाल ही में अपनी भाभी सुनेत्रा पवार पर बड़ा निशाना साधा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अपने पति को वोट मांगने के लिए घूमा नहीं रही हैं। इसके बाद, सुप्रिया सुले ने यह भी कहा था कि उनके पति संसद के अंदर जाएंगे और पति को कैंटीन में पर्स लेकर बैठना होगा। उन्होंने यह भी पूछा कि पति का यहां क्या काम है?
सुप्रिया सुले ने अपने पति को बताया कि वे संसद में जाने वाले हैं या फिर वह? उन्होंने कहा कि उनका पति जाता नहीं है लेकिन उस पति को देखकर जो उत्साहित है, वह पति कैंटीन में पर्स लेकर बैठता है। यह उनके विचारों को और भी स्पष्ट करता है कि राजनीतिक दबाव और परिवारी बंदिशों के कारण कई बार लोग अपने संजीवनी का आदान-प्रदान करने के लिए मजबूर होते हैं।
इस घटना के माध्यम से भारतीय राजनीति के अंदर की अद्यतन समस्याओं को समझने का मौका मिलता है। यह भी दिखाता है कि किसी भी चुनाव में न केवल वोटर्स की राय, बल्कि परिवार की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। राजनीतिक परिवारों के बीच अटकलें और टकराव हमेशा ही चर्चा का विषय बनते हैं और यह भी दिखाता है कि राजनीतिक दबाव कितना महत्वपूर्ण होता है। इससे स्पष्ट होता है कि राजनीतिक लड़ाई में किसी भी मामले में सच्चाई और सत्यता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।