दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इंसुलिन न मिलने के मामले में उन्हें निशाना बनाना, उनकी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को छूने का प्रयास है। इस मामले में उनका राजनीतिक प्रतिस्पर्धी विपक्ष उन्हें घेर रहा है। इससे पहले भी कई बार दिल्ली के राजनैतिक संघर्षों ने साबित किया है कि वहाँ की राजनीति कितनी तेजी से बदल रही है और किस तरह से नए नए दांव पर खेल रही है।
संजय सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र में इस मुद्दे को उठाना, सीएम केजरीवाल के खिलाफ विपक्षी दलों की रणनीति का हिस्सा है। इससे स्पष्ट होता है कि विपक्ष चाहता है कि केजरीवाल के खिलाफ आलोचना और विवाद बढ़ाए जाएं।
इस संदर्भ में, एक बड़ा सवाल उठता है – क्या राजनैतिक प्रतिस्पर्धा के चलते दिल्ली के लोगों को सेवा करने का मामला इतना बड़ा अपराध बन चुका है कि उनके मुख्यमंत्री को उनकी आवश्यकतानुसार इंसुलिन नहीं मिला?
इस मामले में विपक्षी दलों का आरोप है कि केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई किया जा रहा है, जो राजनैतिक द्वेष की एक प्रतिक्रिया हो सकती है। संजय सिंह ने भी प्रधानमंत्री के खिलाफ कई सवाल उठाए हैं, जो इस मुद्दे को और भी गंभीरता से लेते हैं।
इसके अलावा, विपक्षी दलों ने केजरीवाल के खिलाफ विभिन्न आरोप उठाए हैं, जैसे कि उनके खिलाफ साजिश और दुश्मनी का माहौल बनाना। यह साबित करता है कि राजनीतिक दलों के बीच दिल्ली के राजनैतिक संघर्ष कितना तेजी से बढ़ रहा है।
आम आदमी पार्टी के द्वारा जारी किए गए गाने में भी यह संदेश दिया गया है कि उन्हें जेल के बदले वोट देने की सलाह दी जा रही है। यह दिखाता है कि विपक्ष चाहता है कि उनके समर्थक दिल्ली के लोग उनके खिलाफ जानते हों और उन्हें समर्थन दें।
इस प्रकार, दिल्ली के राजनैतिक संघर्ष ने एक बार फिर से दिखाया है कि राजनीति कितनी चरम पर है और कितने संवेदनशील मुद्दे को लेकर उसकी लड़ाई हो रही है।