झारखंड में संचालित मामले में, केंद्रीय अपराध नियंत्रण विभाग (ईडी) ने नोटों की गिनती करके करोड़ों रुपये बरामद किए हैं। यह संदेहजनक धन के आपूर्तिकर्ता के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें झारखंड के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के करीबी के घर की छापामारी शामिल है।
नोटों की गिनती:
ईडी के द्वारा की गई नोटों की गिनती के बाद, सामने आई राशि 35.23 करोड़ रुपये से अधिक है। इस बड़े धन संग्रह के बाद, ईडी ने इन धन को जब्त कर लिया है। इस आधार पर, उसने संदेहजनक धन के व्यवस्थापन में सक्रिय योजनाओं का पता लगाने के लिए कार्रवाई की है।
छापेमारी का प्रभाव:
ईडी द्वारा झारखंड में की गई छापेमारी का प्रभावी होना संदेहजनक धन के व्यवस्थापन और धन के आपूर्तिकर्ताओं पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा। इस छापेमारी में, झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के करीबी संजीव लाल के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई है। इसके बाद, ईडी ने उन नोटों की गिनती करने के लिए बड़ी मशीन को मंगाया। इस मशीन के माध्यम से एक समय पर 4 नोट के बंडल को गिना जा सकता है। इसके अलावा, 5 और छोटे नोटों की गिनती के लिए अन्य मशीनों का उपयोग किया गया है।
छापेमारी के दौरान गिरफ्तारियाँ:
छापेमारी के दौरान, ईडी ने 6 जगहों पर कार्रवाई की है, जोकि झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र के संबंधित मामलों को समाहित करती हैं। इस तरह की कार्रवाई के बाद, उन्होंने संदेहजनक धन संग्रह के विभिन्न आयोजनों के विचार की शुरुआत की है।
झारखंड में हो रहे धन के अवैध आपूर्ति के मामले में, ईडी द्वारा की गई कार्रवाई सामाजिक और न्यायिक न्याय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे संदेहजनक धन के बाजार में नियंत्रण बनाए रखा जा सकता है, जिससे विकास और समृद्धि के लिए स्थिरता सुनिश्चित हो सकती है। यह एक सकारात्मक संदेश है कि सरकार न केवल धन के अवैध आपूर्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है, बल्कि इस प्रकार के अपराधिक कार्यों के प्रति सख्ती से निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध भी है।