भारतीय राजनीति में हिंसा और चुनावी माहौल के बीच का संघर्ष समय-समय पर उठता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के एक चुनावी कार्यक्रम में एक युवक ने जनसभा के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य पर जूता फेंक दिया। यह घटना राजनीतिक माहौल में हिंसा और असुरक्षा की बढ़ती संकेत देती है। इस घटना के बाद, एक प्रत्याशी ने बड़ा आरोप लगाया है कि इस घटना के पीछे जातिवाद और अपमान की भावना है।
जातिवाद का आरोप:
यह घटना फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के प्रत्याशी होतम सिंह के बयान के बाद आई है। सिंह ने आरोप लगाया है कि जूता फेंकने वाले व्यक्ति ने उन्हें निशाद समाज का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि पहले उसने उनके ऊपर काली स्याही फेंकी, फिर काले झंडे दिखाए, और फिर उनके ऊपर जूता फेंका। इस घटना को वह जातिवादी और अपमान के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने भी कहा कि इस तरह की हरकत सामंतवादी विचारधारा के लोगों की मानसिकता को दर्शाती है।
जनसभा में हिंसा:
जनसभा में हुई इस हिंसा की दुर्भावनाओं को नजरअंदाज करना मुश्किल है। एक युवक ने जनसभा के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य को जूता फेंका, जिससे उन्हें खतरा हुआ हो सकता था। जनता ने तुरंत उस युवक को पकड़ा और पुलिस को सौंपा, लेकिन यह घटना चुनावी माहौल में एक नई चिंता का कारण बन गई है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया:
इस घटना के बाद, राजनीतिक दलों ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस हिंसा की निंदा की है और जांच की मांग की है। यहाँ तक कि घटना के पीछे जातिवाद और अपमान के आरोपों की जांच करने की मांग भी की जा रही है।
चुनावी माहौल में हिंसा और जातिवाद के आरोप की घटनाएं देश की लोकतंत्रिक व्यवस्था के खिलाफ एक बड़ा कदम हैं। राजनीतिक दलों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और सामाजिक सद्भावना और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।