लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के मतदान के समय, एक दिलचस्प तथ्य सामने आया है – सबसे अमीर और सबसे गरीब उम्मीदवारों के बीच अत्यंत भिन्नता है। यह एक मामूली सच्चाई नहीं है क्योंकि यह भारतीय राजनीतिक परिदृश्य की एक अद्वितीय परिकल्पना है। इससे प्रकट होता है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में उम्मीदवारों के बीच वित्तीय स्थिति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
वेंकटरमन, कर्नाटक की कांग्रेस नेता, दूसरे चरण के सबसे अमीर उम्मीदवार हैं। उन्हें “स्टार चंद्रू” भी कहा जाता है और उनकी कुल संपत्ति 622 करोड़ रुपये है। उनके पीछे कर्नाटक कांग्रेस के दीके सुरेश हैं, जिनकी संपत्ति 593 करोड़ रुपये हैं। तीसरे स्थान पर हैं भाजपा की हेमा मालिनी, जिनकी संपत्ति 278 करोड़ रुपये हैं। मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता संजय शर्मा की संपत्ति 232 करोड़ रुपये हैं। स्टार चंद्रू के खिलाफ चुनाव लड़ रहे एचडी कुमारस्वामी की कुल संपत्ति 217.2 करोड़ रुपये है।
दूसरी ओर, भारतीय राजनीति में सबसे गरीब उम्मीदवारों की सूची में लक्ष्मण नागराव पाटिल, महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार, शामिल हैं। उनकी संपत्ति सिर्फ 500 रुपये हैं। कासरगोड से निर्दलीय उम्मीदवार राजेश्वरी केआर के पास सिर्फ 1000 रुपये हैं। अमरावती से निर्दलीय उम्मीदवार प्रुथविस्मरत के पास 1400 रुपये हैं। राजस्थान की जोधपुर से चुनाव लड़ रही दलित कांति दल की नेता शहनाज बानो के पास 2000 रुपये हैं। सोसलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्यूनिस्ट) उम्मीदवार वीपी कोचुमन के पास सिर्फ 2,230 रुपये हैं।
यह स्थिति दर्शाती है कि भारतीय राजनीति में वित्तीय समर्थता का महत्वपूर्ण योगदान है, और यह उम्मीदवारों के बीच विभाजन को भी प्रभावित कर सकता है। यह भी दिखाता है कि जीवन की अत्यंत असंतोषजनक और असामाजिक वास्तविकताओं के बावजूद, भारतीय राजनीति में विभिन्न वर्गों के उम्मीदवार हैं जो सबका प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे सामाजिक और आर्थिक असमानता के मुद्दे पर विचार किया जाना चाहिए।