बिहार के अररिया से लाए गए 92 नाबालिग बच्चों को अलग-अलग राज्यों के मदरसों में ले जाने का यह प्रयास एक संघर्षपूर्ण समाचार है। इन बच्चों को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने बचाया है और नौ लोगों को हिरासत में लिया गया है। यह मामला बच्चों के हक की उपेक्षा को दर्शाता है और समाज में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता का विषय है।
उत्तर प्रदेश में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के अभियान ‘आहट’ के तहत, ट्रेन संख्या 12487 से प्रयागराज जंक्शन पर लाए गए 93 नाबालिग बच्चों को बचाया गया। इन बच्चों को लेने वाले नौ व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है। इस मामले में रेलवे पुलिस ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिससे बच्चों की सुरक्षा और उनके हक की सुनिश्चितता की दिशा में कदम बढ़ाया गया है।
बिहार के अररिया से लाए गए बच्चों को अलग-अलग राज्यों के मदरसों में ले जाने का प्रयास सामने आया है। यहां तक कि इन बच्चों को लेने वाले लोगों के पास उनकी साथ में ले जाने का कोई वैध प्रमाण पत्र भी नहीं था और न ही इनके साथ उनके माता-पिता या परिवार का कोई सदस्य था। इससे स्पष्ट होता है कि यह प्रयास बच्चों को गलत तरीके से ले जाने का प्रयास था और उनके हक की उपेक्षा की गई।
इन बच्चों की उम्र नौ साल से लेकर 12-13 साल की है और ये सभी मुस्लिम समुदाय से हैं। इन्हें अलग-अलग राज्यों के मदरसों में ले जाने का प्रयास किया जा रहा था, जिससे स्पष्ट होता है कि इसमें किसी धार्मिक समुदाय के साथ अन्याय की भी धारा है।
पिछले साल भी अररिया के ही 59 बच्चों को ले जाने का प्रयास किया गया था, जिसमें चार मौलाना गिरफ्तार हुए थे। इस बार भी ऐसा ही मामला सामने आया है, जिससे स्पष्ट होता है कि इस प्रकार की गतिविधियों को रोकने की जरूरत है।
रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) की तरफ से यह कदम बच्चों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इन बच्चों को बचाकर उन्हें बाल कल्याण समिति में पेश किया गया है, जहां उनकी देखभाल और काउंसलिंग की जा रही है। इससे समाज में बच्चों की सुरक्षा और उनके हक की सुनिश्चितता के प्रति एक सकारात्मक संदेश जाता है।