18 जुलाई से राजगीर में विश्व प्रसिद्ध मलमास मेला होने जा रहा है। इस बार मलमास मेले का लाइव प्रसारण वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए किया जाएगा। यह पहली बार होगा कि मलमास मेला लाइव देखा जा सकेगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने तैयारी की है।
प्रभारी डीएम सह डीडीसी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए मलमास मेले का लाइव प्रसारण होगा। इसमें दुनिया के लोग भी शामिल हो सकेंगे। मेले में संस्कृति कार्यक्रम भी होंगे|
क्यों आयोजित होता है मलमास मेला

कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा के पुत्र राजा बसु ने एक पवित्र स्थान पर महायज्ञ कराया था। उस महायज्ञ के दौरान उन्होंने 33 कोटि देवी-देवताओं को आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने काग महाराज को न्योता नहीं दिया था और उसे भूल गए थे। इसके कारण काग महाराज महायज्ञ में शामिल नहीं हो सके। इस घटना के बाद से मलमास मेले के दौरान राजगीर के आसपास काग (कौआ) महाराज को दिखाई नहीं देते हैं।
मलमास के समय राजगीर बैकुंठ धाम बन जाता है

मलमास के समय राजगीर बैकुंठ धाम बन जाता है, जिसके कारण 33 कोटि देवी-देवता वहां निवास करते हैं। यहां के प्राकृतिक जलस्रोतों में स्नान करना, ध्यान करना और मंदिरों में पूजा-अर्चना करना बहुत पवित्र माना जाता है। राजगीर में रहने वाले लोगों के अलावा देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोग खासकर धार्मिक लोग मलमास मेले के लिए राजगीर आते हैं। इस मेले में हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी शामिल होते हैं।
इस बार मेले में किये गए विशेष प्रबंध
इस बार सरकार ने मलमास मेले को राजकीय मेले के रूप में मान्यता दी है। मेला 18 जुलाई से शुरू होगा और 13 अगस्त तक चलेगा। राजगीर में 22 कुंड और 52 धाराएं हैं, जहां श्रद्धालु आते हैं और स्नान करते हैं। ब्रह्मकुंड और सप्तधाराओं में स्नान बहुत महत्वपूर्ण है। यहां के कुंडों में देश और विदेश के लोग आकर पूजा-पाठ भी करते हैं। सभी लोग इन कुंडों में सही तरीके से स्नान और पूजा-पाठ करते हैं। इस मेले में शाही स्नान का विशेष महत्व है। यह उन समय को कहते हैं जब साधु-संत टोलियों द्वारा विभिन्न कुंडों में स्नान होता है।