जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लद्दाख के मुद्दों को सामने लाने के लिए ‘बॉर्डर मार्च’ की घोषणा की है। लेह स्थित ‘एपेक्स बॉडी’ के सदस्य वांगचुक ने बताया कि उनका आंदोलन गांधीवादी दृष्टिकोण के साथ चल रहा है, जो क्षेत्र के पर्यावरण और इसकी आबादी के मौलिक चरित्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग के साथ-साथ उन्होंने चीन द्वारा कथित अतिक्रमण के मुद्दे को भी उजागर करने के लिए ‘बॉर्डर मार्च’ का आयोजन किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस घोषणा की जानकारी दी और सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
वांगचुक ने अपने आंदोलन को महात्मा गांधी के सत्याग्रह के अनुयायी के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने भाजपा सरकार से उनके घोषणापत्र के माध्यम से किए गए वादों को पूरा करने की मांग की है, जिसके कारण उन्हें 2019 के सांसदीय चुनाव और 2020 के लेह में पहाड़ी परिषद चुनावों में जीत मिली है।
उन्होंने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने एवं इसे संविधान की अनुसूची 6वी में शामिल करने की मांग को लेकर अपने आंदोलन को और तेज किया है। उन्होंने इस मामले में महिलाओं, युवाओं, धार्मिक नेताओं और बुजुर्गों के सहयोग से भूख हड़ताल की घोषणा की है।
वांगचुक ने लद्दाख के भूमि संबंधी मुद्दों पर भी ध्यान दिया है, और आरोप लगाया है कि उद्योगिक संयंत्रों और चीनी अतिक्रमण के कारण जमीनी हकीकत में ध्रुवीकृति हो रही है। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को अपने जानवर बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है और सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए बड़े उद्योगिक संयंत्रों के लिए भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। वह यह भी कहते हैं कि कोई सुरक्षा उपाय उपलब्ध नहीं है जिसके कारण लोगों की जमीन छीन रही है।
इस बात से स्पष्ट होता है कि वांगचुक ने लद्दाख के मुद्दों को संवेदनशील रूप से सामने लाने का प्रयास किया है और उन्होंने गांधीवादी दृष्टिकोण को अपनाया है। उनकी यह कड़ी मेहनत और आंदोलन में उनका संघर्ष लद्दाख की जनता के हित में महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है।