पाकिस्तान के चुनावी महाकवि में, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N) ने चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद जताई है, जबकि इमरान खान ने अपनी पार्टी की अनुभवी उम्मीदवारों के साथ चुनाव में विजय का दावा किया है। इस चुनाव के नतीजों के बाद, नवाज शरीफ के पक्षधरों ने उनकी जीत की घोषणा की है, हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनके पास फिलहाल बहुमत नहीं है। यह चुनाव पाकिस्तानी सेना और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच एक दुर्गरोह भी है, जिसमें सेना के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवारों ने शरीफ के खिलाफ उन्नति दर्ज की है।
भारत के लिए इस चुनाव का मतलब क्या है? पाकिस्तान के चुनावी प्रक्रिया में हो रहे इस परिवर्तन ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नई संभावना की सृजना की है। पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गए हैं, लेकिन नवाज शरीफ के पुनः प्रधानमंत्री बनने की संभावना भारत के लिए एक नई दिशा प्रदान कर सकती है।
भारतीय सरकार ने हमेशा से नवाज शरीफ के साथ अच्छे संबंध बनाने का प्रयास किया है। नवाज शरीफ के पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में, उनके बीच सीमा पार के व्यापार और विचारों के बीच साथीता में वृद्धि हुई थी। पीएम मोदी ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं, जैसे कि उन्होंने नवाज शरीफ के घर जाकर उनके परिवार के साथ खाना खाया था।
इसलिए, नवाज शरीफ की जीत भारत के लिए एक संकेत हो सकती है कि पाकिस्तानी सरकार अपने राजनीतिक और आर्थिक संकटों का सामना करने के लिए भारत के साथ अधिक समर्थन की तलाश में हो सकती है। यह भी भारत और पाकिस्तान के बीच अधिक संबंधों की स्थापना का माध्यम बन सकता है, जिससे दोनों देशों के लोगों को फायदा हो सके।