बीकानेरवाला का बिजनस एक चमकता हुआ यात्रा है, जो पुराने दिल्ली से लेकर विश्व तक फैला हुआ है। यह दुकान नामक बिजनस यात्रा किसी एक सेकंड में तय नहीं होती, बल्कि यह कहानी हर कदम पर रौंगतें बिखेरती है।
इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, जब केदारनाथ अग्रवाल और सत्यनारायण अग्रवाल ने पुरानी दिल्ली में भुजिया और रसगुल्ले बेचने के सपने देखे। इन दोनों भाइयों ने धीरे-धीरे अपनी दुकान की बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए नई दुकानें खोलीं और नए लोगों को बीकानेर के अमृतसरी परांठे की गली में मिलने वाली रश्मलाई और चाट की खुशबू से रूबरू कराईं।
इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण मोड़ वर्ष 1956 में आया, तब दोनों भाइयों ने दुकान का नाम ‘बीकानेरी भुजिया भंडार’ रखा। लेकिन , जब उनके बड़े भाई जुगल किशोर अग्रवाल दिल्ली आए, तो उन्होंने इस नाम को देखकर गुस्से में कहा कि इसका नाम बदलकर ‘बीकानेरवाला’ रखा जाए, क्योंकि यहां हमने तुम्हें बीकानेर का नाम रौशन करने के लिए भेजा था। इसके बाद से ‘बीकानेरवाला’ का नाम उभरा हुआ है, और यह एक विश्वस्तरीय ब्रांड बन चुका है।
बीकानेरवाला की शुरुआत मिठाई और नमकीन से हुई थी, लेकिन इसका सफलता सिर्फ इन विषयों से ही सीमित नहीं रही। दुनियाभर में इसके 200 से ज्यादा आउटलेट्स हैं, और इसका कारोबार 2000 करोड़ से ज्यादा है। यह न केवल भारत में बल्कि विभिन्न देशों में भी प्रसिद्ध है, जिसमें अमेरिका, दुबई, नेपाल, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड शामिल हैं।
इसकी मूल शक्ति दिल्ली के करोल बाग में स्थित सबसे पुरानी दुकान से है, जिसे बीकानेरवाला ब्रांड की पहचान का आदान-प्रदान कहा जा सकता है। यह एक ऐसी कहानी है जो साबित करती है कि संघर्ष, समर्पण, और निरंतरता के साथ शुरुआत किए गए सपनों को एक बड़े और सफल व्यापार में कैसे बदला जा सकता है।