लोकसभा चुनाव 2024 के मतगणना के शुरुआती रुझानों ने कांग्रेस के लिए आशा की नई किरण दिखाई है। विशेष रूप से, राहुल गांधी केरल की वायनाड और उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से आगे चल रहे हैं। वायनाड में वे 1.5 लाख वोटों से आगे चल रहे हैं, जबकि रायबरेली में वे 1 लाख से ज्यादा वोटों से आगे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर राहुल गांधी दोनों सीटों से जीतते हैं तो वे कौन सी सीट छोड़ेंगे?
राहुल गांधी की चुनावी यात्रा
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राहुल गांधी की राजनीतिक यात्रा में वायनाड और रायबरेली दोनों महत्वपूर्ण मील के पत्थर रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में, राहुल गांधी को उनकी पारंपरिक सीट अमेठी में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन वायनाड ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया। इस बार भी वायनाड में उनकी स्थिति मजबूत दिख रही है। दूसरी ओर, रायबरेली कांग्रेस के गढ़ के रूप में जानी जाती है। इस सीट से उनके दादा फिरोज गांधी, दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी सांसद रह चुके हैं।
वायनाड: संकट के समय का साथी
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वायनाड ने 2019 में राहुल गांधी को उस समय सहारा दिया जब वे अमेठी में हार गए थे। वायनाड की जनता ने उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया, और इस बार भी वे यहां से बड़ी बढ़त बनाए हुए हैं। वायनाड के लोगों ने राहुल गांधी को सिर-आंखों पर बिठाया और उनका समर्थन किया। ऐसे में, कई लोगों का मानना है कि राहुल गांधी वायनाड को छोड़ना नहीं चाहेंगे क्योंकि इस सीट ने संकट के समय में उनका साथ दिया था।
रायबरेली: कांग्रेस का गढ़
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रायबरेली कांग्रेस के लिए हमेशा से एक मजबूत गढ़ रहा है। गांधी परिवार के सदस्यों ने इस सीट से लगातार जीत दर्ज की है। सोनिया गांधी ने इस बार स्वास्थ्य कारणों से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था, जिसके बाद कांग्रेस ने राहुल गांधी को इस सीट से मैदान में उतारा। रायबरेली की जनता ने हमेशा से गांधी परिवार पर भरोसा जताया है, और इस बार भी वे राहुल गांधी को भारी मतों से जीताने के लिए तैयार हैं।
कौन सी सीट छोड़ेंगे राहुल गांधी?
यह एक जटिल निर्णय है क्योंकि वायनाड ने संकट के समय में राहुल गांधी का साथ दिया, जबकि रायबरेली कांग्रेस के गढ़ के रूप में जानी जाती है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी वायनाड को छोड़ सकते हैं क्योंकि रायबरेली से जीतने के बाद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकती है। यूपी में 2027 में विधानसभा चुनाव भी हैं, और कांग्रेस इस मौके का फायदा उठाना चाहेगी।
प्रियंका गांधी का विकल्प
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एक और संभावना यह भी है कि राहुल गांधी रायबरेली सीट छोड़ सकते हैं और उपचुनाव में प्रियंका गांधी को इस सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। प्रियंका गांधी की लोकप्रियता और उनकी सक्रियता को देखते हुए यह कांग्रेस के लिए एक मजबूत रणनीतिक कदम हो सकता है। इससे न केवल रायबरेली की जनता खुश होगी, बल्कि वायनाड के लोगों को भी यह महसूस होगा कि राहुल गांधी ने उनका साथ नहीं छोड़ा।
राहुल गांधी के लिए यह निर्णय करना आसान नहीं होगा कि वे वायनाड या रायबरेली में से कौन सी सीट छोड़ें। दोनों सीटों का अपना-अपना महत्व है। वायनाड ने संकट के समय में उनका साथ दिया, जबकि रायबरेली कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी रायबरेली को प्राथमिकता दे सकते हैं, जिससे यूपी में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सके और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए माहौल तैयार हो सके।
प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ाना भी एक रणनीतिक विकल्प हो सकता है, जिससे कांग्रेस दोनों सीटों को संतुलित तरीके से संभाल सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी इस महत्वपूर्ण फैसले को कैसे लेते हैं और इससे कांग्रेस की आगामी चुनावी रणनीतियों पर क्या प्रभाव पड़ता है।