गया समाचार इस गांव में कोई सड़क नहीं होने के बजह से कोई भी इस गांव में अपनी लड़की की शादी/विवाह नहीं करना चाहता. लड़की वाले गांव तक आ सके, इसके लिए ग्रामीण खुद चंदा करके सड़क बनाते हैं.
यह जानिए… कितना काम किया गया है… क्या हाल था, जाकर अपने बाप से पूछो… बिहार के विकास की गाथा सुनाते समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ ऐसी ही बातें कहते हैं. सीएम साहब की बातों में कितना दम है, इसकी पोल गया के इमामगंज में स्थित ‘भगहर’ गांव खोल रहा है.
चारों ओर से नदियों से घिरे इस गांव की आबादी लगभग 800 है. टापू पर रहना इस ग्रामीणों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है. गांव में ना रोजगार, ना शिक्षा है और तो और इस गांव के युवा लोग दुल्हन को भी तरस रहे हैं.
गांव में कोई रास्ता नहीं होने के कारण कोई भी इस गांव में अपनी लड़की की शादी/विवाह नहीं करना चाहता. लड़की वाले गांव तक आ सके, इसके लिए ग्रामीण खुद चंदा करके सड़क बनाते हैं. पैसा कम होने पर गांव के लोग स्वम श्रमदान करके मार्ग निकालते हैं. ग्रामीण ने बताया कि बरसात में मरजेंसी रोगियों को बेमौत मरना ही पड़ता है.
ग्रामीणों ने कहा कि बरसात में एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती. हम अस्पताल तक नहीं जा पाते. गॉव के नजदीक स्थानीय डॉक्टर से ही इलाज कराना हमारी मजबूरी है. इस कारण मरीज को यहीं पर मरना पड़ता है.
गया जिला के भगहर गांव, मुख्यालय से 80-85 किलोमीटर दूर है. इसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि चारों ओर से नदियां बहकर आती हैं. बरशात के दिनों में महीनों तक गांव में सब कुछ ठप रहता है. गॉववालो का कहना है कि उन्हें इस नदी के उपर एक पुल चाहिए, लेकिन नीतीश सरकार सुन नहीं रही है.
यहां कोई शादी के लिए नहीं आता. उसके लिए हम लोगों को सड़क बनानी पड़ती है. तब जाकर कोई हमारे दरवाजे तक आता है. हमारी सरकार से मांग है कि गांव के मार्ग पर पुल बने. कच्ची सड़क बनाने के लिए पूरा गांव इकट्ठा होता है.महिला, पुरुष, जवान-बूढ़े सभी मिलकर सड़क पर श्रमदान करते हैं.