अमेरिका में 2 मई से लापता भारतीय छात्र रूपेश चंद्र चिंताकिंडी की मामले में चिंता की बातों ने भारतीय समुदाय में आशंका का बाजार बढ़ा दिया है। उनके पिता, सदानंदम, ने सरकार से अपने बेटे की सुरक्षित वापसी के लिए मदद मांगी है। यह घटना भारतीय छात्रों की सुरक्षा के संबंध में गहरी चिंता को दर्शाती है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, छात्र रूपेश चंद्र चिंताकिंडी के पिता सदानंदम ने बताया कि दो मई के बाद से उनके बेटे के साथ कोई संपर्क नहीं हुआ है। उन्होंने सरकार से त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया है। सदानंदम ने बताया कि उनका बेटा अमेरिका में अपनी मास्टर्स की पढ़ाई कर रहा था। वह नियमित रूप से संपर्क में रहता था, लेकिन 2 मई के बाद से संपर्क नहीं हुआ।
पिता ने बताया कि उन्होंने एक-दो दिन इंतजार किया, फिर रूममेट्स से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उनका बेटा 30 अप्रैल को बाहर गया था और दो दिनों में वापस आ जाएगा, लेकिन वह अभी तक वापस नहीं आया है। शिकागो पुलिस ने एक बयान में कहा कि रूपेश चंद्र चिंताकिंडी (26) लापता हैं और उन्हें ढूँढने के लिए कार्रवाई की जा रही है।
इस मामले में भारतीय दूतावास भी सक्रिय है। भारतीय दूतावास ने अमेरिका में भारतीय दूतावास तथा भारत के विदेश मंत्रालय को संबोधित करते हुए ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा कि वाणिज्य दूतावास यह जान कर बेहद चिंतित है कि भारतीय छात्र रूपेश चंद्र चिंताकिंडी दो मई से किसी के संपर्क में नहीं हैं। वाणिज्य दूतावास रूपेश का पता लगाने के लिए पुलिस और भारतीय समुदाय के संपर्क में है।
यह मामला भारतीय छात्रों की सुरक्षा के संबंध में गहरी चिंता को दर्शाता है। हाल के दिनों में देश में भारत से जुड़े छात्रों पर हमले तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे पहले मार्च में भारत के 34 वर्षीय प्रशिक्षित शास्त्रीय नर्तक अमरनाथ घोष की मिसौरी के सेंट लुइस में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पर्ड्यू विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहे 23 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी छात्र समीर कामथ को पांच फरवरी को इंडियाना में एक संरक्षित क्षेत्र में मृत पाया गया था। जनवरी में इलिनोइस विश्वविद्यालय के 18 वर्षीय छात्र अकुल धवन को परिसर की एक इमारत के बाहर बेसुध पाया गया था, जिसमें उनकी मौत हाइपोथर्मिया से हुई थी।
इस संबंध में सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए ताकि विदेश में पढ़ने जाने वाले छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह मामला हमें यह भी याद दिलाता है कि विदेश में हमारे छात्रों को सुरक्षा के मामले में ज्यादा सतर्क और संवेदनशील होना चाहिए।