कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीटों के लिए उम्मीदवारों का ऐलान करने की आखिरी तारीख तक विलम्ब कर दी है। इस बारे में अनिकेत जागी जैसे कई सूत्री जानकारों ने सूचना दी है। अमेठी और रायबरेली दोनों सीटें कांग्रेस के लिए रहे हैं, जो श्रीमती सोनिया गांधी और श्री राहुल गांधी के बारे में मशहूर हैं।
अमेठी और रायबरेली दोनों ही सीटें कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहां तक कि ये दोनों ही सीटें गांधी परिवार का किला मानी जाती हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस ने इस बार उम्मीदवारों का ऐलान करने में कुछ संदेह जताया है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने राहुल गांधी को अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। बल्कि, राहुल गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है।
यह एक महत्वपूर्ण फैसला है क्योंकि अमेठी से राहुल गांधी को सत्ता के कुर्सी पर बैठाने की जिम्मेदारी थी। अमेठी के चुनाव मैदान में विपक्षी दल भारी चुनौती देते रहे हैं, विशेषकर भाजपा की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी। पिछले चुनावों में भी ईरानी ने अमेठी से चुनाव हारकर कांग्रेस को एक महत्वपूर्ण झटका दिया था।
इस बीच, रायबरेली से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में राहुल गांधी का उतारा एक बड़ा सदमा हो सकता है। अमेठी की तरह, रायबरेली भी गांधी परिवार का एक दिल का महल मानी जाती है। यहां तक कि रायबरेली दलित वोटबैंक के रूप में भी महत्वपूर्ण है।
यह फैसला कांग्रेस की स्थिति को मजबूती देता है, खासकर यूपी में। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में बड़ी मुश्किलों का सामना किया है और यहां के चुनावी प्रक्रिया में बड़े हार भी उठाए हैं। इस बार कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है, लेकिन इसके बावजूद भी वहां की राजनीतिक स्थिति कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण है।
प्रियंका गांधी की चर्चा भी काफी समय से हो रही है कि वह कहां से चुनाव लड़ेंगी। प्रियंका गांधी को भी अमेठी से चुनाव लड़ने की संभावना थी, लेकिन उनके नामांकन से इस संदेह को अब समाप्त कर दिया गया है।
अमेठी और रायबरेली के चुनावी नामांकन की आखिरी तारीख 2 मई है, जब कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों का ऐलान हो सकता है। इस बार के चुनाव में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में पुनर्विचार करने की जरूरत है ताकि वह अपने आंकड़ों को सुधार सके और चुनाव में अधिक सीटें जीत सके।
इसके अलावा, यह भी देखा जा रहा है कि कांग्रेस ने अपने चुनावी रणनीति को लेकर सावधानी बरती है, ताकि वह चुनावी मैदान में स्थिर रहे और वोटरों का भरोसा जीत सके।