अरुणाचल प्रदेश, भारत की पूर्वी सीमा पर स्थित है, जो कि चीन के साथ सीमा बांधता है। इस क्षेत्र के सुरंग प्रोजेक्ट के तहत बन रहे ‘सेला पास टनल’ का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका मकसद अरुणाचल प्रदेश के सुरक्षा और आवास को मजबूत करना है।
दुनिया की सबसे ऊंची डबल लेन सुरंग: भारत और चीन के बीच कनेक्टिविटी का महत्वपूर्ण माध्यम

सेला पास टनल का निर्माण कथित रूप से 13,000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर हो रहा है, और यह दुनिया की सबसे बड़ी डबल लेन सुरंग होगी। इस सुरंग का महत्वपूर्ण कारण है कि यह भारत और चीन के बीच किसी भी मौसम में कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करेगा।
सेला पास टनल: भारत के नूरानंग जिले के लिए यातायात की सुविधा में बड़ा सुधार

सेला पास टनल के निर्माण से इस क्षेत्र के यातायात में बड़ा सुधार होगा, विशेष रूप से बर्फीले मौसम में। यह टनल सेला से नूरानंग जिले तक पहुंचने का एक नया रास्ता प्रदान करेगा, जिससे यातायात की सुविधा में वृद्धि होगी।इसके साथ ही भारत सरकार अरुणाचल प्रदेश के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए योजनाएँ बना रही है। सेला सुरंग का निर्माण बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) कर रही है, और यह एक बड़ी प्रौद्योगिकी उपलब्धि है सेला पास टनल के निर्माण से पर्यटन को भी एक बड़ी बढ़ोतरी मिलेगी, जिससे यह क्षेत्र एक आधिकारिक पर्यटन स्थल बन सकता है।
सेला पास टनल: भारत की सीमा सुरक्षा में मजबूती का प्रयास

इस प्रोजेक्ट के साथ, भारत ने अपनी सीमा सुरक्षा में और भी मजबूती प्राप्त करने का प्रयास किया है, और यह चीन के साथ सीमा क्षेत्र में जबरदस्त सुरक्षा मामले की ओर स्थिति को बढ़ावा देगा। सेला पास टनल का निर्माण का काम जुलाई 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है,इस परियोजना का प्रमुख संचालक नंदा किशोर हैं, जिन्होंने इस सुरंग के निर्माण को महत्वपूर्ण बनाने के लिए कठिनाइयों का सामना किया है। और यह भारत के सीमा सुरक्षा को मजबूती देगा और यातायात को सुविधाजनक बनायेगा।