भारत ने हाल ही में सबमरीन से दागी जाने वाली 3500 किमी रेंज वाली मिसाइल का दूसरा परीक्षण किया है, जिससे भारत की न्यूक्लियर ताकत में वृद्धि हुई है। इस मिसाइल का नाम K2 है और इसकी रेंज 3500 किमी तक है। यह परीक्षण पहले जनवरी में किया गया था, और इसके बाद माना जा रहा है कि इस मिसाइल को उत्पादन के लिए तैयार माना जा सकता है।
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K सीरीज की इस मिसाइल का उपयोग भारतीय सबमरीन्स के साथ किया जाएगा, जिससे भारत की पलटवार और न्यूक्लियर त्रिशूल (TRIAD) में सुधार होगा। भारत ने पहले ही K सीरीज की K15 मिसाइल को सफलता से तैयार करके भारतीय सबमरीन आईएनएस अरिहंत में इसका उपयोग किया है।
K2 मिसाइल का दूसरा परीक्षण हाल ही में सफलता से किया गया है और इसके बाद इसे उत्पादन के लिए तैयार माना जा रहा है। इस मिसाइल की रेंज 3500 किमी है, जिससे यह समुद्री क्षेत्रों में बड़ी सुरक्षा से फायर किया जा सकता है।
K सीरीज की मिसाइलें सबमरीन से फायर की जाती हैं और इनका उपयोग दुश्मन को जानकरी देने में किया जा सकता है। इन मिसाइलों को बेहद खामोशी से समुद्र के अंदर ले जाया जा सकता है और दुश्मन पर अचूक वार किया जा सकता है।
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K4 मिसाइल का वजन 17 टन है और इसमें 2.5 टन का वारहेड लगाया जा सकता है। इसकी रफ्तार 7.5 मैक है, जिससे इसे पता लगाना असंभव है और फायर हो जाने के बाद बचाव के लिए लगभग कोई समय नहीं मिलेगा।
इस समय, K सीरीज की K5 और K6 मिसाइलें भी बनाई जा रही हैं, जिनकी रेंज 5000 किमी और 10 से 12 हजार किमी है, जो भारत को अंतर्महाद्वीपीय मिसाइल तंत्र में चौथा देश बना देगा।
इन मिसाइलों के बाद रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास सबमरीन से फ़ायर होने वाली अंतर्महाद्वीपीय मिसाइलें हैं. इस प्रगति और सफलता के साथ, भारत ने न्यूक्लियर ताकत में मजबूती दिखाई है और अपनी सुरक्षा में और भी सशक्त होने की क्षमता को बढ़ाया है।