लोकसभा चुनाव 2024 की चुनावी सरगर्मी के बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सांसद जयंत सिन्हा को नोटिस भेजा है। जयंत सिन्हा, जो झारखंड के हजारीबाग से सांसद हैं, ने इस बार चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया और न ही मतदान किया। पार्टी ने इस रवैये पर नाराजगी जताते हुए उन्हें नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है। आइए, इस मामले पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें और समझें कि जयंत सिन्हा कौन हैं और भाजपा ने उन्हें नोटिस क्यों भेजा है।
जयंत सिन्हा: परिचय
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जयंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे हैं। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया है और मैकेंजी एंड कंपनी और ओमिडयार नेटवर्क जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में काम किया है। जयंत सिन्हा 2014 में हजारीबाग से सांसद चुने गए और 2019 में फिर से इसी सीट से चुनाव जीता। वे नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
भाजपा की नाराजगी
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भाजपा ने जयंत सिन्हा को इस बार हजारीबाग से टिकट नहीं दिया और उनकी जगह मनीष जयसवाल को उम्मीदवार बनाया। इस निर्णय के बाद से जयंत सिन्हा ने चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया और न ही मतदान किया। इसके चलते पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। भाजपा ने इस पर गंभीरता से विचार करते हुए जयंत सिन्हा को नोटिस जारी किया है और दो दिनों में स्पष्टीकरण मांगा है।
नोटिस का विवरण
भाजपा के प्रदेश महामंत्री और राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू की ओर से जयंत सिन्हा को भेजे गए नोटिस में कहा गया है, “सांसद जयंत सिन्हा, जब से हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से पार्टी द्वारा मनीष जयसवाल को उम्मीदवार घोषित किया गया है, तब से आप न तो चुनाव प्रचार-प्रसार और न ही संगठनात्मक कार्यों में रुचि ले रहे हैं। इसके बाद भी इस लोकतंत्र के महापर्व में आप अपने मताधिकार का भी प्रयोग करना उचित नहीं समझा।”
नोटिस में आगे लिखा गया है कि जयंत सिन्हा के इस रवैये से पार्टी की छवि धूमिल हुई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के निर्देशानुसार आपसे अनुरोध है कि इस संबंध में 2 दिनों में स्पष्टीकरण देने का कष्ट करें।
चुनाव प्रचार से दूरी का कारण
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बताया जा रहा है कि जयंत सिन्हा टिकट नहीं मिलने के चलते नाराज थे। उन्होंने पहले ही भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को चुनाव न लड़ने की इच्छा जताई थी। इसके बावजूद, पार्टी ने मनीष जयसवाल को हजारीबाग से उम्मीदवार बनाया, जिससे जयंत सिन्हा नाराज हो गए और उन्होंने चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया।
पार्टी की छवि पर असर
जयंत सिन्हा द्वारा चुनाव प्रचार और मतदान से दूरी बनाए रखने से भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा है। पार्टी का मानना है कि एक वरिष्ठ नेता और सांसद होने के नाते जयंत सिन्हा का यह रवैया अनुचित है और इससे पार्टी की साख पर सवाल उठते हैं। पार्टी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा है।
भविष्य की संभावनाएँ
अगर जयंत सिन्हा ने नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जयंत सिन्हा इस नोटिस का कैसे जवाब देते हैं और पार्टी के साथ उनके संबंधों का भविष्य क्या होगा। जयंत सिन्हा के पास अब दो ही विकल्प हैं: या तो वे पार्टी को संतोषजनक जवाब दें और अपनी स्थिति स्पष्ट करें, या फिर पार्टी की ओर से संभावित अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करें।
जयंत सिन्हा का मामला भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, क्योंकि उनके चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखने और मतदान न करने से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। पार्टी ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें नोटिस भेजा है और स्पष्टीकरण मांगा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जयंत सिन्हा इस नोटिस का कैसे जवाब देते हैं और पार्टी के साथ उनके भविष्य के संबंध क्या होंगे। इस मामले से भाजपा के अन्य नेताओं को भी एक संदेश जाएगा कि पार्टी अनुशासन और संगठनात्मक कार्यों में भागीदारी को कितना महत्व देती है।