किसानों के प्रदर्शन, मानवीयता और अन्नदाता के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। मुख्य बिंदु इस समय कृषि कानूनों के संबंध में किसानों की मांगें हैं, जिनमें एमएसपी (Minimum Support Price) की कानूनी गारंटी, पेंशन, फसल बीमा और किसानों के कर्ज की माफी शामिल हैं।
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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार चल रहा है, जिसमें उन्हें केंद्र सरकार के समर्थन में कानून वापस लेने की मांग के साथ-साथ अपनी अन्य मांगों को लेकर भी दिल्ली कूचने का ऐलान किया गया है।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान 13 फरवरी को दिल्ली कूचने की तैयारी में हैं, जिसके लिए उन्होंने ‘दिल्ली चलो मार्च’ का एलान किया है। इस प्रक्रिया को रोकने के लिए, पुलिस ने बड़े-बड़े बैरिकेड्स और धारा-144 जैसे इंतजाम किए हैं।
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दिल्ली पुलिस ने भी बड़ी संख्या में सुरक्षा इंतजाम किए हैं, जैसे कि धारा-144 का लागू करना, सीमेंट और कंक्रीट बड़े बैरिकेड्स लगाना, और उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रदर्शनकारियों के ट्रैक्टर, ट्रॉली, बस, ट्रक, गाड़ियां, और घोड़ों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाना।
किसानों के नेताओं ने सरकार से अपनी मांगों की सुनवाई के लिए बातचीत की गुहार लगाई है, लेकिन उनका कहना है कि उनके मुद्दों पर सरकार ने अभी तक ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इस बीच, कुछ दल अलग हो गए हैं और आपस में विभाजित हो गए हैं, लेकिन मुख्य आंदोलन का हमेशा समर्थन बना हुआ है।
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इस समय, सरकार और किसानों के बीच बातचीत के दौर में भी बड़ा मुद्दा है कि ऐसे बड़े-बड़े इंतजामों के बावजूद भी धारा-144 और इंटरनेट सेवा बंद करने की स्थिति में क्या आपत्तिजनकता है।
इस समय, सरकार, किसानों और उनके प्रतिनिधियों के बीच बातचीत और समझौते की मांग बढ़ रही है। उम्मीद है कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता से इस मुद्दे का समाधान निकले और आम लोगों को अनुशासनपूर्ण और शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों का उपयोग करने का मौका मिले।