अंतरिक्ष में जीवन की खोज और इंसानों के लिए नए ग्रहों पर बसने की संभावनाएं हमेशा से वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा रही हैं। स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क पहले ही मंगल ग्रह पर इंसान को बसाने की कोशिश में लगे हुए हैं। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस सोमनाथ ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में धरती को बचाना नामुमकिन हो जाता है तो मंगल ग्रह एक विकल्प हो सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने एस्टरॉयड्स और स्पेस वेपनाइजेशन पर भी अपनी राय रखी।
मंगल पर माइग्रेशन की संभावना
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एस सोमनाथ ने कहा कि अगर किसी कारणवश धरती को बचाना मुश्किल हो जाता है, तो इंसानों के लिए मंगल पर माइग्रेशन एक विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा, “अगर ऐसी स्थिति बनती है कि कुछ भी संभव नहीं है तो कम से कम हम मंगल पर माइग्रेट कर सकते हैं। उसके कुछ साल बाद हम वापस धरती पर आ सकते हैं और फिर से यहां जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।”
यह विचार न केवल विज्ञान कथा फिल्मों का हिस्सा है, बल्कि विज्ञान और तकनीकी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। मंगल ग्रह पर माइग्रेशन का विचार कई सालों से वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय रहा है, लेकिन इसरो चीफ के इस बयान ने इसे और भी प्रासंगिक बना दिया है।
एस्टरॉयड्स का खतरा
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एस सोमनाथ ने कहा कि एस्टरॉयड्स से बड़े स्तर का विनाश होने की बड़ी आशंका है। यह खतरा कई अन्य खतरों में से एक है जो धरती पर जीवन के लिए संकट बन सकते हैं। अन्य खतरों में जलवायु परिवर्तन, बायोलॉजिकल चुनौतियां और प्रकृति का इवॉल्यूशन शामिल हैं।
इसरो चीफ ने बताया कि समस्या का सार उस सीमित समय में सिमटा हुआ है जो ऐसे अचानक आने वाले खतरों से निपटने के लिए मिलेगा। पहले से तैयारी बहुत जरूरी है क्योंकि तबाही को बंकरों में शरण से कम नहीं किया जा सकेगा। इस दिशा में काम करना आवश्यक है ताकि हम आने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयार हो सकें।
स्पेस वेपनाइजेशन पर इसरो चीफ की राय
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स्पेस वेपनाइजेशन यानी अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण के सवाल पर एस सोमनाथ ने इसका सीधे शब्दों में विरोध किया। उन्होंने कहा, “हम अंतरिक्ष का वेपनाइजेशन नहीं कर रहे हैं। अंतरिक्ष को सभी के लिए एक सुरक्षित स्थान होना चाहिए। सभी वहां जाकर बिना किसी डर या खतरे के ऑब्जर्वेशन और कम्युनिकेशन आदि कर सकें, इसकी स्वतंत्रता होनी चाहिए।”
सोमनाथ ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष क्षमताओं में इस तरह की एडवांसमेंट्स हथियारों पर निर्भरता को जागरूकता और नॉलेज के जरिए काफी कम कर सकती हैं। अंतरिक्ष सबके लिए सेफ हैवेन होना चाहिए।
मंगल पर माइग्रेशन की तैयारियाँ
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मंगल पर माइग्रेशन के लिए कई चुनौतियाँ और तैयारी की आवश्यकता होगी। सबसे पहले, वहां पर जीवन यापन के लिए आवश्यक संसाधनों का प्रबंध करना होगा। इसमें पानी, ऑक्सीजन, भोजन, और ऊर्जा का उत्पादन शामिल है। इसके अलावा, मंगल पर रहने के लिए संरचनाओं का निर्माण और वहां की harsh पर्यावरणीय परिस्थितियों से निपटने के लिए तकनीकी समाधान ढूंढना होगा।
भविष्य की संभावनाएं
अगर हम धरती को नहीं बचा पाते हैं, तो मंगल पर माइग्रेशन एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है। यह हमें न केवल एक नए ग्रह पर जीवन की शुरुआत करने का मौका देगा, बल्कि मानव सभ्यता को बचाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इसके साथ ही, यह हमें अंतरिक्ष में नई संभावनाओं को खोजने और समझने का अवसर भी प्रदान करेगा।
इसरो चीफ एस सोमनाथ के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर भविष्य में धरती को बचाना मुश्किल हो जाता है, तो मंगल पर माइग्रेशन एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है। इसके अलावा, एस्टरॉयड्स और अन्य खतरों से निपटने के लिए हमें पहले से तैयारी करनी होगी। अंतरिक्ष को सुरक्षित और शांति का स्थान बनाए रखने के लिए स्पेस वेपनाइजेशन का विरोध भी जरूरी है। इस दिशा में इसरो और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।