गाजियाबाद में हुए एक घटनाक्रम में, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और जिलाधिकारी के बीच विवाद की खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस घटना के बारे में सोशल मीडिया पर पत्रकारों ने एक चिट्ठी को शेयर करते हुए इस मुद्दे को हल्के में लेने का प्रयास किया है।
मामला कैसे शुरू हुआ?
गाजियाबाद के पूर्व विधायक और बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रशांत चौधरी ने बताया कि संगठन की तरफ से मुख्यमंत्री से मिलने का कार्यक्रम तय किया गया था और इसका समय सुबह 9:30 बजे रखा गया था। लेकिन इसके बाद कार्यक्रम में बदलाव हुआ और संगठन द्वारा बुलाए गए कार्यक्रम में केवल चुनिंदा 10 से 15 लोगों को ही आमंत्रित किया गया।
विवाद की ऊर्जा:
जिला प्रशासन द्वारा बुलाए गए कार्यक्रम में बदलाव की बात सुनकर वरिष्ठ कार्यकर्ता नाराज हो गए और इसे अपना अपमान मानते हुए वहां से बाहर निकल गए। इसके बाद जिलाधिकारी ने उन्हें चाय पिलाने की बात कही और वरिष्ठ नेताओं ने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद, नाराज नेता और भड़क गए और जिलाधिकारी से चाय के पैसे वापसी की मांग करते हुए वहां से बाहर निकल आए।
चाय के पैसे का रुखा:
नाराज नेता और जिलाधिकारी के बीच इस घटना के बाद, चाय के ₹700 लौटने की बात कहकर लिखा गया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस पत्र में बीजेपी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने अपने अपमान और मुख्यमंत्री से न मिलने की बात कहकर रोष जाहिर किया है। पत्र के साथ 700 रुपये भी दिख रहे हैं, जिसमें एक 500 रुपये का नोट और दो 100-100 रुपये के नोट हैं।
प्रशासन की सफाई:
घटना के बाद, जिलाधिकारी ने सोशल मीडिया पर जानकारी शेयर करते हुए स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। उनके अनुसार, संगठन द्वारा बताए गए कार्यक्रम में खाली कार्यक्रम स्थल पर बुलाया गया था और किसी ने मिलने की बात नहीं की थी। इसके बाद जिलाधिकारी महोदय ने भी अपना बयान सोशल मीडिया पर जारी किया है।
नेता का तर्क:
बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र त्यागी ने कहा है कि पहले उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने का कार्यक्रम तय किया गया था, और इसका समय सुबह 9:30 बजे रखा गया था। लेकिन बाद में जिला प्रशासन ने उन्हें इंतजार कराए जाने के बाद गेट के पास लाइनअप करने की बात कह दी गई, जिसमें केवल मुख्यमंत्री को जाते हुए अभिवादन करना था।
विवाद की समाप्ति:
इस विवाद के बाद, सोशल मीडिया पर लोग तमाम तरीके की प्रतिक्रिया देते हुए नजर आ रहे हैं। चिट्ठी के सोशल मीडिया पर वायरल हो जाने के बाद, प्रशासनिक अधिकारी और नेता दोनों के बीच तालमेल में सुधार की क़दम उठाए जा रहे हैं।