झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने कथित जमीन घोटाले में गिरफ्तार हेमंत सोरेन को जमानत दे दी है। यह फैसला सोरेन और उनके समर्थकों के लिए बड़ी राहत के रूप में आया है, जो कई महीनों से उनकी जेल से रिहाई का इंतजार कर रहे थे।
ईडी की कार्रवाई और गिरफ्तारी
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इस साल 31 जनवरी को, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हेमंत सोरेन को कथित जमीन घोटाले में गिरफ्तार किया था। ईडी ने आरोप लगाया था कि सोरेन ने अनधिकृत रूप से बरियातू के बड़गाई अंचल की 8.45 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है। यह मामला मनी लांड्रिंग के प्रावधानों के तहत आता है। ईडी के वकील एसवी राजू ने अदालत में कहा था कि हेमंत सोरेन ने आर्किटेक्ट विनोद सिंह के साथ मिलकर इस जमीन का नक्शा बनवाया था और सोरेन के मोबाइल पर भेजा था। साथ ही, राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद ने भी हेमंत सोरेन की मदद की थी।
मामले की जड़
भानु प्रताप प्रसाद ने अपने बयान में स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले निर्देश पर उसने बड़गाईं स्थित जमीन का विस्तृत ब्योरा तैयार कर उपलब्ध कराया था। हिलेरियस कच्छप ने भी इस जमीन पर अवैध कब्जा करने में हेमंत सोरेन की मदद की थी। हिलेरियस ने ही अपने नाम पर बिजली का कनेक्शन लिया था और जमीन की घेराबंदी कराई थी। इन सब आरोपों के चलते ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
कोर्ट का निर्णय और जमानत
13 जून को हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज, अदालत ने हेमंत सोरेन को जमानत दे दी है। हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि कोर्ट का आदेश आज ही जारी हो जाएगा और हेमंत सोरेन जल्द ही जेल से बाहर आ सकते हैं। ईडी ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका का विरोध किया था, यह कहते हुए कि जमानत से जांच प्रभावित हो सकती है। हालांकि, हाई कोर्ट ने ईडी की बात नहीं मानी और सोरेन को जमानत दे दी।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
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हेमंत सोरेन को मिली जमानत झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के लिए बड़ी राहत है। राज्य में पार्टी की सरकार है और सोरेन इसके प्रमुख नेता हैं। उनके जेल जाने के बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया था। हेमंत सोरेन की रिहाई से पार्टी को चुनाव से पहले नई ऊर्जा मिली है। यह राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि झारखंड में इसी साल चुनाव होने हैं। सोरेन की वापसी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है और उन्हें चुनाव में बढ़त दिला सकती है।
कानूनी और नैतिक प्रश्न
यह मामला कई कानूनी और नैतिक प्रश्न उठाता है। क्या एक आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए जबकि उस पर गंभीर आरोप लगे हैं? क्या जमानत मिलने से जांच प्रभावित हो सकती है? ईडी का कहना था कि सोरेन की जमानत से जांच प्रभावित हो सकती है, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया।
आगे का रास्ता
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हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद, अब उन पर लगे आरोपों का कानूनी निष्कर्ष निकालना बाकी है। अदालत में उनकी सुनवाई जारी रहेगी और उन्हें अपने बचाव में सबूत पेश करने होंगे।
हेमंत सोरेन की जमानत ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। सोरेन की रिहाई से जेएमएम को नई ऊर्जा मिली है और चुनाव से पहले पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है। अब यह देखना होगा कि अदालत में मामले का अंतिम निष्कर्ष क्या निकलता है और हेमंत सोरेन अपने ऊपर लगे आरोपों का कैसे सामना करते हैं।
यह मामला यह भी दिखाता है कि भारतीय राजनीति और न्याय प्रणाली में कैसे जटिलताएं और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, विशेषकर जब आरोप किसी प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति पर लगे हों। हेमंत सोरेन की जमानत और इसके बाद की घटनाएँ झारखंड की राजनीतिक दिशा को कैसे प्रभावित करेंगी, यह समय ही बताएगा।