कर्नाटक के जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में एक्शन के बारे में सूचना मिलने के बाद, स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने एक नोटिस जारी किया है। यह एक गंभीर मुद्दा है और इसका समाधान जल्दी से होना चाहिए।
प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यह नोटिस जारी किया गया है जिसमें उन्हें महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपों के जवाब देने के लिए बुलाया गया है। यह एक गंभीर मामला है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

कर्नाटक सरकार ने महिला आयोग की सिफारिश पर इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। इसका मतलब है कि यह मामला सरकार की गंभीरता को दिखाता है और उसने इसे तुरंत और गंभीरता से लिया है।
प्रज्वल रेवन्ना ने खुद पर लगे आरोपों का खंडन किया है। वह अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खंडन करते हुए कहा है कि वह सच्चाई के साथ हैं और उनकी निर्दोषता जल्द ही साबित होगी।
इस मामले में जल्द ही न्यायिक कार्रवाई होनी चाहिए। जो भी सच्चाई है, वह सामने आनी चाहिए और दोषी को सजा दी जानी चाहिए।
प्रज्वल रेवन्ना ने एसआईटी के आगे पेश होने के लिए 7 दिन का समय मांगा था, जिससे इनकार कर दिया गया। इसके बाद ही उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया है और इसे गंभीरता से नहीं लिया गया है।

इस मामले में यह भी देखा जाना चाहिए कि क्या किसी पार्टी या संगठन का राजनैतिक इस्तेमाल हुआ है। अगर ऐसा हुआ है, तो इसे भी सामने लाया जाना चाहिए और उसे भी सजा दी जानी चाहिए।
जल्द ही इस मामले में सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस नेताओं ने जेडीएस के साथ-साथ बीजेपी को भी निशाने पर लिया है। लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और जेडीएस ने कर्नाटक में गठबंधन किया हुआ है।
रेवन्ना से जुड़े वीडियो वायरल होने पर महिला आयोग ने सीएम सिद्धारमैया को चिट्ठी लिखी और उनसे एसआईटी गठित करने की मांग की। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और उसने इसे तुरंत कार्रवाई के लिए भेज दिया है।

आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) बी के सिंह के नेतृत्व में एसआईटी अब इस मामले की जांच कर रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और उसने इसे तुरंत कार्रवाई के लिए भेज दिया है।
इस मामले में जल्द ही न्यायिक कार्रवाई होनी चाहिए और दोषी को सजा दी जानी चाहिए। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए और जल्द से जल्द न्यायिक कार्रवाई की जानी चाहिए।