केंद्र में मंत्री पद को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में गहरी चर्चाएँ और मंथन चल रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। मोदी 3.0 की सरकार की मंत्रिपरिषद में कौन-कौन से मंत्री होंगे, इसको लेकर राजनीतिक हलकों में अभी से सुगबुगाहट शुरू हो गई है। खासकर जेडीयू में मंत्रिपद को लेकर गहन विचार-विमर्श हो रहा है।
एनडीए की बैठक और प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी का चयन
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एनडीए के घटक दलों की बैठक संसद के सेंट्रल हॉल में हुई, जिसमें नरेंद्र मोदी के नाम को सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया गया। नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना तय होने के बाद अब कैबिनेट मंत्रियों के नामों पर चर्चा तेज हो गई है। इस बैठक में एनडीए के सभी घटक दलों ने अपने-अपने विचार रखे और मोदी के नाम पर सहमति जताई।
जेडीयू में मंत्रिपद के लिए मंथन
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जेडीयू में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मंत्री पद के बंटवारे को लेकर दो फार्मूलों पर विचार किया जा रहा है। पहला फार्मूला यह है कि अगर चार सांसदों पर एक मंत्री बनाया जाता है, तो जेडीयू को तीन मंत्री पद मिल सकते हैं। दूसरा फार्मूला यह है कि अगर तीन सांसदों पर एक मंत्री बनाया जाता है, तो जेडीयू के कोटे से चार मंत्री बनाए जा सकते हैं। इन दोनों फार्मूलों के आधार पर जेडीयू अपने संभावित मंत्रियों के नामों पर विचार कर रही है।
संभावित मंत्रियों की दौड़ में सबसे आगे
सूत्रों के अनुसार, जेडीयू से मंत्री बनने की दौड़ में कुछ प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं। इनमें सवर्ण जाति से ललन सिंह का नाम सबसे आगे है। ललन सिंह का राजनीतिक अनुभव और उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा को देखते हुए, उन्हें मंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त माना जा रहा है। अति पिछड़ी जाति से रामनाथ ठाकुर को भी मंत्री बनाए जाने की संभावना है। इसके अलावा, पिछड़ी जाति से अगर किसी को मंत्री बनाया गया तो बाल्मिकी नगर से सांसद सुनील कुमार का नाम भी इस दौड़ में शामिल है।
जेडीयू और टीडीपी: किंगमेकर की भूमिका
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2024 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन दोनों दलों के समर्थन के बिना एनडीए की सरकार बनाना मुश्किल होता। इसलिए, मोदी सरकार में इन दोनों पार्टियों को विशेष स्थान दिया जा सकता है। जेडीयू और टीडीपी के सांसदों को महत्वपूर्ण मंत्रालय मिल सकते हैं, और इनके मंत्रियों की संख्या भी अधिक हो सकती है।
मंत्री पद के बंटवारे में जेडीयू की रणनीति
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जेडीयू अपने मंत्री पद के बंटवारे में संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रही है। पार्टी में विभिन्न जातियों और समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। सवर्ण, पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों से संभावित मंत्रियों का चयन किया जा रहा है ताकि सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की तैयारी के बीच, जेडीयू और टीडीपी जैसे प्रमुख घटक दलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। जेडीयू अपने संभावित मंत्रियों के नामों पर गहन विचार-विमर्श कर रही है और विभिन्न फार्मूलों पर मंथन कर रही है। ललन सिंह, रामनाथ ठाकुर और सुनील कुमार जैसे नेताओं के नाम संभावित मंत्रियों की सूची में सबसे आगे हैं। जेडीयू और टीडीपी की किंगमेकर की भूमिका को देखते हुए, इनके सांसदों को महत्वपूर्ण मंत्रालय मिल सकते हैं, जिससे इन दलों का राजनीतिक महत्व और बढ़ जाएगा। आगामी दिनों में मंत्रिपरिषद के गठन के साथ ही, इन सभी संभावनाओं और चर्चाओं का निष्कर्ष सामने आएगा।