बेहद ही गरीबी की हालत से गुजर रहे पाकिस्तान ने हाल ही में फाइनेंशियल ईयर 2023-24 का बजट पेश किया है। चुनावी साल होने के कारण पाकिस्तान सरकार ने इस बजट में लोगों को लॉलीपॉप देने जैसा काम किया है। शहबाद शरीफ सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की सैलरी 35 फीसदी तक बढ़ाने का ऐलान किया है।
IMF ने बजट पर जताई आपत्ति
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने इस बजट में टैक्स बेस स्लैब को सही तरीके से तैयार नहीं किया था। इसे लेकर अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चिंता व्यक्त की है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के बजट 2023-24 को लेकर भी गंभीर आपत्ति जताई है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान सरकार के प्रस्तावित बजट में नई कर माफी योजना को ‘हानिकारक मिसाल’ बताया और साथ ही कहा कि, सरकार ने ‘कर आधार’ को व्यापक बनाने का अवसर गंवा दिया है।
1.4 बिलियन डॉलर मिलने की लगा रहा आस
पाकिस्तान पहले से ही कर्ज से लदा हुआ है। ऐसे में डिफॉल्ट के खतरे से बचने के लिए पाकिस्तान अपने विदेश मुद्रा भंडार को बढ़ाने लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.4 बिलियन डॉलर की किश्त मिलने की आस लगा रहा है। लेकिन आईएमएफ अब इन पैसों को देने से पहले पाकिस्तान को कुछ ऐसे कठिन फैसले लेने के लिए बाध्य कर रहा है, जिन्हें मानने से पाकिस्तान हमेशा से मना करता आया है।
IMF की हर मांग नहीं मान सकते- पाकिस्तान
पाकिस्तान लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है। यदि पाकिस्तान को IMF ने फंड नहीं दिया तो उस पर विदेशी कर्ज चुकाने का दबाव बन जाएगा। ऐसे में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 3 अरब डॉलर से भी नीचे आ सकता है। IMF की मांगों को लेकर पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा कि, पाकिस्तान एक संप्रभु देश है और IMF की हर मांग को मान नहीं सकता है।