सीएम नीतीश कुमार ने हाल ही में पटना के बापू सभागार से एक बार फिर से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग को उठाया है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार इसे स्वीकार नहीं करती है, तो इसके खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। इस मांग को लेकर राजनीति में बहस और उत्तेजना बढ़ गई है।
राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने बताया कि बिहार के बंटवारे के समय केंद्र सरकार ने राज्यांश में कटौती की थी, जिससे सभी राज्यों पर अधिक वित्तीय बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जनता को इसका आसरा क्या है और वह कैसे चुप बैठ सकती है।
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बिहार की प्रथम महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी इस मांग का समर्थन किया और लंबे समय से इस पर जोर दिया रहा है। कांग्रेस ने भी नीतीश कुमार के बयान का समर्थन किया है और कहा है कि सरकार पर वित्तीय बोझ पड़ रहा है, जिसका ख्याल केंद्र सरकार को रखना चाहिए।
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इसके बावजूद, बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखी टिप्पणी की है और हरि सहनी, बिहार विधान परिषद के नेता, ने पूछा है कि क्या नीतीश कुमार बिहार का विकास करना चाहते हैं या सिर्फ और कुर्सी पाना चाहते हैं।
केंद्र सरकार ने अभी तक जो राशि दी है, उसका NOC सरकार ने केंद्र को नहीं भेजा है, जिससे कई परियोजनाएं जमीन की वजह से लटकी हुई हैं। इस समय की राजनीतिक स्थिति से जुड़ी हर तरह की ताजगी और रुचियां हमें समझाने का प्रयास हो रहा है।