भारतीय लोकतंत्र में चुनाव सिस्टम के मौजूदा रूप में जो बदलाव हो रहा है, वह बड़ा महत्वपूर्ण है। लोकसभा और राज्यसभा में होने वाले मतदान प्रक्रिया में डिजिटल तरीके से मतदान करने की चर्चा लंबे समय से चल रही है, लेकिन इस पर अभी भी निर्णय नहीं लिया गया है। इस विचार में हाल की घटनाओं ने इसकी महत्ता को और भी उच्चतम किया है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद भारत में जनगणना और परिसीमन की कार्रवाई पूरी की जाएगी।
भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि का महत्वपूर्ण कदम
इसका मतलब है कि डिजिटल मतदान प्रणाली की शुरुआत हो सकती है।लोकसभा में नारी शक्ति वंदन बिल का पारित होना एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि होगी। इस विधेयक के पास होने के बाद, महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में एक तिहाई आरक्षण मिलेगा। यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है जिससे महिलाओं को सियासी प्रक्रियाओं में बेहतर प्रतिनिधित्व मिलेगा।
देश के नागरिकों के बीच मतदान की डिजिटलीकरण की आवश्यकता हैं
लोकसभा में मतदान प्रक्रिया में डिजिटल बदलाव की बात देश के नागरिकों के बीच में उम्मीद का संकेत देती है, लेकिन यह सवाल उठता है कि ऐसा क्यों नहीं हो रहा है। एक मुख्य कारण है कि इसके लिए आवश्यक बदलाव और प्रौद्योगिकी संकेत की जरुरत है, जिसकी तैयारी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में समय लग सकता है।सांसदों के द्वारा अभी तक पर्ची से मतदान का प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रकार के मतदान प्रक्रिया में सदस्य अपने मतदान को पर्ची पर दर्ज करते हैं। यह प्रक्रिया सामान्यत: सदन में होने वाले वोटिंग की एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।डिजिटल वोटिंग प्रणाली में सदस्यों को वोट देने के दौरान समर्थन, विरोध, या अनुपस्थित रहने के लिए अपने डेस्क पर एक बटन दबाने की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया का उद्घाटन करने के लिए कुछ खास तैयारी और तकनीकी संकेत की आवश्यकता होती है, जिसके लिए समय लगता है।
संसद में डिजिटल वोटिंग की शुरुआत हुई
नई संसद की शुरुआत के साथ डिजिटल वोटिंग का अभियांत्रिक काम किया जा सकता है, लेकिन इसके पूरे रूप में लागू करने में कुछ समय लग सकता है। कुछ दलों ने इस तथ्य का सुझाव दिया है कि उन्होंने अभी तक नए लोकसभा कक्ष के लिए सदस्यों की प्रभाग संख्या (डिविजन नंबर) नहीं भेजी है, जिससे डिजिटल वोटिंग प्रणाली का उपयोग नहीं किया जा सका।
इस घटना से साबित होता है कि भारतीय संसद के लिए डिजिटल मतदान प्रणाली की शुरुआत के लिए आवश्यक बदलाव और तैयारी की आवश्यकता है, जो कि इस महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा। इस घटना के बावजूद, सांसदों ने अपने मतों को पर्ची पर दर्ज करने में सहमति दी है, जो भारतीय लोकतंत्र का मूल हिस्सा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह सुनिश्चित करने का भी संकेत दिया है कि जल्द ही महिला आरक्षण से संबंधित कानून बदलेंगे, जिससे महिलाओं को सियासी प्रक्रियाओं में और बेहतर प्रतिनिधित्व मिलेगा।
भारत में डिजिटल मतदान प्रणाली की शुरुआत और महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से दिखता है कि राजनीति में बदलाव की दिशा में कदम बढ़ रहा है, लेकिन इसके पूरे अंदरूनी और तकनीकी प्रक्रियाओं की तैयारी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में समय लगेगा।