मगुंटा रेड्डी और उनके बेटे राघव मगुंटा नाम दिल्ली के शराब घोटाले में जुड़े हुए हैं, जिसमें उनका नाम संजय सिंह ने लिया है। यह घटना दिल्ली की राजनीतिक वातावरण में बड़ी हलचल मचा दी है। इसमें मगुंटा रेड्डी और उनके परिवार के सदस्यों के बीच घोटाले के बारे में बात की गई है।
मगुंटा रेड्डी एक प्रमुख राजनीतिक नेता हैं जो आंध्र प्रदेश के ओंगोल लोकसभा सीट से टीडीपी के उम्मीदवार हैं। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने वाईएसआरसीपी छोड़कर अब टीडीपी में शामिल हो गए हैं और लोकसभा के लिए प्रत्याशी बने हैं। उनके खिलाफ भी कई मुद्दों पर आरोप लगे हैं, लेकिन यह घटना उनके राजनीतिक करियर पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
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उनके बेटे राघव मगुंटा भी इस मामले में शामिल हैं। वे साउथ ग्रुप के हिस्सा हैं और कई अल्कोहल प्रोडक्शन यूनिट्स के मालिक हैं। उन्हें घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ बहुत सारे केस दर्ज किए गए थे। इसके बाद उन्हें जमानत मिली थी, लेकिन उनका नाम इस घटना के मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया था।
संजय सिंह के दावे के मुताबिक, राघव मगुंटा ने दबाव के चलते अपना बयान बदला और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गवाही दी। उनके बयान के अनुसार, एजेंसियों ने उनसे कई बार बयान लिए और उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए। लेकिन उन्होंने पहले तक इन आरोपों का खारिज किया था। इसके बावजूद, आखिरकार उन्हें गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया।
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यह मामला दिल्ली की राजनीतिक दलों के बीच तनावपूर्ण माहौल को दर्शाता है। संजय सिंह के दावे ने इस मामले को और भी ज्यादा गंभीरता प्रदान की है और इसने दिल्ली की राजनीतिक स्तिथि को उलझन में डाल दिया है। इसके साथ ही, यह मामला दिल्ली की आबादी के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ बन सकता है।
अंत में, इस मामले में मगुंटा रेड्डी और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आरोप लगाने वाले संजय सिंह के दावों की गणना की जानी चाहिए। इसके लिए न्यायिक प्रक्रिया को स्पष्टता से चलाना चाहिए ताकि सच्चाई का पता लग सके और जिम्मेदारीयों को सजा हो सके। इससे दिल्ली की राजनीति में स्वच्छता और निष्पक्षता का संदेश मिलेगा और लोगों में भरोसा बना रहेगा।