प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बीजेपी सांसदों को एक नई नसीहत दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें ‘मोदी जी’ कहकर नहीं, बल्कि सीधे ‘मोदी’ कहकर बुलाया जाए। इसमें उन्होंने यह भी उजागर किया कि अगर उन्हें ‘मोदी जी’ कहकर बुलाया जाएगा तो वह आम जनता से दूर हो जाएंगे, क्योंकि ऐसा उन्हें अलग समझाया जाएगा।
पीएम मोदी ने यह बताया कि उनका नाम सिर्फ ‘मोदी’ है और उन्हें जनता के साथ एक संबंध बनाए रखने के लिए इसे सीधे बुलाना ज्यादा उचित है। वे यह भी दिखा रहे हैं कि उनकी जीत अकेले उनकी नहीं, बल्कि उनके कार्यकर्ताओं की सामूहिक जीत है। इसी कड़ी में, उन्होंने बीजेपी सांसदों को सांसदीय दल के सदस्यों के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी और उन्हें खुद मैदान में उतरने के लिए प्रेरित किया।
प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा योजना को लेकर भी बातें कीं और सांसदों से जन-जन तक इसका प्रचार-प्रसार करने का आदान-प्रदान करने का आदान-प्रदान करने का आदान-प्रदान करने का आदान-प्रदान किया। उन्होंने इसे सफल बनाने के लिए सभी सांसदों से जोरदार काम करने का आदान-प्रदान करने का आदान-प्रदान किया और उन्हें खुद भी मैदान में उतरने के लिए प्रेरित किया।
इस संबंध में प्रधानमंत्री ने सांसदों को गुरु मंत्र दिया और कहा कि वे खुद क्षेत्र में जाकर लाभार्थियों से मिलें, उनकी समस्याओं को सुनें और उनके समाधान के लिए काम करें। उन्होंने बताया कि बीजेपी की सरकारों का रिकॉर्ड बहुत उत्कृष्ट है और सभी सांसदों को इसे बढ़ावा देने के लिए सहयोग करने का आदान-प्रदान किया।
अगले 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को बयान करते हुए प्रधानमंत्री ने सांसदों से कहा कि वे विकसित भारत संकल्प यात्रा में जुटे और अपने-अपने क्षेत्र में कार्य करके इसके प्रमोटिंग में सक्रिय रूप से भाग लें।
इस बारीकी से प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को मोदी जी कहकर बुलाने से दूर रहने की नसीहत दी है, जिससे वह आम जनता के साथ संबंध बनाए रख सकें और उनकी जीत न केवल चुनावी हो, बल्कि सामूहिक रूप से सफल हो।