मुख्तार अंसारी की मौत के पीछे एक भारी अपराधिक इतिहास है, जिसमें उन्हें 65 से अधिक गंभीर धाराओं में दर्जा गया था। उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामलों में से 21 मुकदमों की सुनवाई विभिन्न अदालतों में अभी भी चल रही है। मुख्तार अंसारी को आठ मामलों में कोर्ट द्वारा सजा सुनाई जा चुकी थी, जिसमें उन्हें जेल की सजा काटनी पड़ी थी।
उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामलों में कुछ बड़े अपराध शामिल हैं, जैसे लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी और हत्या। इन अपराधों में उन्हें गाजीपुर, वाराणसी, चनौली, आजमगढ़, मऊ, सोनभद्र, लखनऊ, बाराबंकी और आगरा जैसे जिलों में अलग-अलग केसेस में दर्जा किया गया था। यह सभी मामले उनकी अपराधिक गतिविधियों को दर्शाते हैं, जो उनकी विवादित प्रोफाइल को और भी मजबूत करते हैं।
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मुख्तार अंसारी का अपराधिक इतिहास उनके पहले से ही व्यापक जीवनसाथी के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होंने 1980 के दशक में अपराधिक दुनिया में कदम रखा, और उनका नाम उत्तर प्रदेश के मशहूर माफिया ब्रिजेश सिंह के साथ जुड़ता चला गया। उनके कारनामे मऊ, गाज़ीपुर, वाराणसी और जौनपुर जिलों में हुए, और उन्होंने कई अपराधिक कार्यों में भाग लिया।
उनका राजनैतिक करियर भी अपराधिक इतिहास से जुड़ा हुआ है। उन्होंने 1996 में पांच बार मऊ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ जोड़ा रहा, और उनके पार्टी के लिए मऊ से चुनाव लड़ते रहे। इसके बावजूद उनका अपराधिक इतिहास उनकी राजनीतिक करियर को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता रहा।
मुख्तार अंसारी को आठ मामलों में सुनाई गई थी सजा
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मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज किए गए 65 मामलों में से 21 मुकदमें की सुनवाई विभिन्न अदालतों में विचाराधीन है। मुख्तार को 8 मामलों में कोर्ट से सजा सुनाई जा चुकी थी। जिसकी सजा वह जेल में रहकर काट रहा था।
इन मामले में मुख्तार को सुनाई गई थी सजा
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21.09.2022 को एक मामले में लखनऊ में मुख्तार को सात साल की सजा और 37 हजार जुर्माना लगाया गया था। 23.09.2022 को एक अन्य मामले में लखनऊ की कोर्ट ने 5 साल सजा और 50 हजार जुर्माना लगाया था। 15.12.2022 को गाजीपुर में 10 साल की सजा और 5 लाख जुर्माना लगाया गया था। 29.04.2023 को गाजीपुर की कोर्ट ने 10 वर्ष की सजा तथा 5 लाख जुर्माना लगाया था। 05.06.2023 को वाराणसी कोर्ट ने आजीवन कारावास तथा 1 लाख रुपया जुर्माना की सजा सुनाई थी। 27.10.2023 को गाजीपुर की कोर्ट ने 10 वर्ष की जेल तथा 50 हजार जुर्माना की सजा सुनाई थी। 15.12.2023 को वाराणसी अदालत ने 5 वर्ष 6 माह जेल की सजा तथा 10 हजार रुपया जुर्माना लगाया था। 13.03.2024 को वाराणसी अदालत ने फर्जी हथियार लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास और 2 लाख रुपया जुर्माना की सजा सुनाई थी।
कब रखा अपराध की दुनिया में कदम
मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में वर्ष 1980 के दशक में अपना कदम रखा था । सबसे प्रथम बार उसका नाम मखनु सिंह गिरोह के साथ जोड़ा गया। वर्ष 1990 के दशक में मऊ, गाज़ीपुर, वाराणसी और जौनपुर जिलों में हुए अपराधों में मुख्तार का नाम जुड़ता चला गया। माफिया ब्रिजेश सिंह से दुश्मनी जगजाहिर है। कोयला खनन, रेलवे निर्माण और अन्य क्षेत्रों में ठेकेदारों से पैसे वसूलने में भी मुख़्तार अंसारी का नाम सामने आया।
राजनीति में भी रखा कदम
अपनी कुख्याति छवि के बावजूद मुख्तार अंसारी ने राजनीति में कदम रखा। 1996 पांच बार मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा सदस्य (एमएलए) चुना जाता रहा। बसपा के साथ इसका जुड़ाव रहा।
मुख्तार अंसारी की मौत ने उनके अपराधिक इतिहास के विवादों को और भी जोर दिया है। उनके कुछ समर्थक उन्हें शहीद के रूप में देख रहे हैं, जबकि दूसरे उन्हें एक माफिया और अपराधी के रूप में याद कर रहे हैं। इस घटना ने उत्तर प्रदेश के राजनैतिक माहौल में भी एक नई उथल-पुथल पैदा की है, जिसने राजनैतिक दलों को एक साथ ले जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पर दबाव डाल दिया है।