2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में कई बदलाव देखे गए हैं। एनडीए और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के बीच सत्ता संतुलन को लेकर गहन मंथन और बातचीत हो रही है। इस दौरान नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और चंद्रबाबू नायडू के बीच हो रही मुलाकातें सुर्खियों में हैं। खासकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की एनडीए के प्रमुख नेता चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है।
एनडीए की चुनौतियाँ और सहयोगी दलों की भूमिका
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एनडीए के सामने इस बार बड़ी चुनौती यह है कि भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया है, जिसके चलते सहयोगी दलों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए को अपना समर्थन पत्र दे दिया है। इस समर्थन से एनडीए को राहत मिली है, लेकिन इसके साथ ही दोनों नेताओं ने अपनी कुछ मांगे भी रखी हैं।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के बीच की बातचीत में संभवतः मंत्रालयों के बंटवारे और उनके राज्य के विकास के लिए विशेष योजनाओं पर चर्चा हुई है। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार नई सरकार बनने तक दिल्ली में ही रह सकते हैं ताकि वे अपनी मांगों को पक्का कर सकें।
I.N.D.I.A. गठबंधन का ‘Wait and Watch’ रुख
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विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. अभी ‘Wait and Watch’ की स्थिति में है। ऐसे में दिल्ली में चंद्रबाबू नायडू और स्टालिन की मुलाकात महत्वपूर्ण हो जाती है। स्टालिन ने चंद्रबाबू नायडू से दिल्ली हवाई अड्डे पर मुलाकात की। दोनों नेता अपने-अपने गठबंधन की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे। स्टालिन ने इस मुलाकात को सामाजिक मीडिया पर साझा करते हुए बताया कि उन्होंने चंद्रबाबू नायडू को शुभकामनाएं दीं और दक्षिणी राज्यों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए सहयोग का आश्वासन दिया।
चंद्रबाबू नायडू की भूमिका
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चंद्रबाबू नायडू, जो पहले मोदी सरकार के विरोध में थे, अब एनडीए के प्रमुख नेता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। स्टालिन ने इस पर विश्वास जताया कि नायडू दक्षिणी राज्यों के अधिकारों की वकालत करते हुए केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह संकेत देता है कि आने वाले समय में नायडू केंद्र सरकार के निर्णयों पर प्रभाव डाल सकते हैं और दक्षिणी राज्यों के हितों की रक्षा के लिए काम करेंगे।
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की दिल्ली यात्रा
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नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की दिल्ली यात्रा भी काफी चर्चा में रही। पटना से दिल्ली आते समय दोनों नेता एक ही प्लेन में बैठे थे। इस दौरान नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को अपने बगल में बिठाया और दोनों के बीच गहन चर्चा हुई। हालांकि तेजस्वी यादव ने कहा कि वे सब कुछ नहीं बता सकते, लेकिन यह स्पष्ट है कि बिहार के मुख्यमंत्री और उनके उपमुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
राजनीतिक अटकलें और संभावनाएँ
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नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन के बावजूद एनडीए की सरकार बनने की राह आसान नहीं है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के पास भी पर्याप्त सीटें हैं और वे भी सरकार बनाने की कोशिश में हैं। एनडीए को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे सहयोगियों की मांगों को पूरा करना होगा। इसके साथ ही, स्टालिन और नायडू की मुलाकात यह संकेत देती है कि दक्षिणी राज्यों के बीच सहयोग और तालमेल बढ़ सकता है, जो कि राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
महाराष्ट्र में NDA का प्रदर्शन 2024 के चुनावों में काफी खराब रहा और गठबंधन ने विपक्षी दलों के हाथों अपनी अधिकांश सीटें गंवा दीं। आंकड़ो को देखकर लगता है कि अगर प्रकाश आंबेडकर विपक्षी गठबंधन में होते तो NDA को और नुकसान होता।
NDA की सरकार बनने की प्रक्रिया के दौरान नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे सहयोगी नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। उनकी मांगों और बातचीत का परिणाम आने वाले समय में स्पष्ट होगा। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. भी अपनी रणनीति के साथ तैयार है और राजनीतिक परिदृश्य पर निगाह बनाए हुए है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन राजनीतिक घटनाक्रमों का अंततः क्या परिणाम होता है और कौन सी पार्टी सरकार बनाने में सफल होती है।