दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मालीवाल ने दावा किया कि जब तक वह पार्टी के हित में काम कर रही थीं, तब तक उन्हें “लेडी सिंघम” कहा जाता था। लेकिन अब जब उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, तो उन्हें “भाजपा की एजेंट” करार दिया जा रहा है। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच स्वाति मालीवाल ने अपनी बेगुनाही का पक्ष रखते हुए कहा कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे पूरी तरह से झूठे हैं और उनका मकसद केवल उनकी साख को धूमिल करना है।
मालीवाल ने अपने ट्वीट में कहा कि उनके खिलाफ झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं कि उन्होंने भाजपा के इशारे पर बिभव कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने साफ किया कि उनके खिलाफ जो भ्रष्टाचार का मामला चल रहा था, वह आठ साल पुराना है और उस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है। इस मुद्दे पर मालीवाल ने कहा कि इस झूठे मामले के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल दोनों ने दो बार महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया था।
मालीवाल का कहना है कि बिभव कुमार के खिलाफ शिकायत देने से पहले तक उन्हें “लेडी सिंघम” कहा जाता था। लेकिन अब उन्हें भाजपा का एजेंट कहा जा रहा है। मालीवाल ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ ट्रोल आर्मी लगा दी गई है, जो उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी के सदस्यों को उनके निजी वीडियो के बारे में पूछताछ की जा रही है, ताकि उन्हें लीक करके उनकी छवि को और खराब किया जा सके।
मालीवाल ने इस पूरे घटनाक्रम को सत्ता के नशे में की जा रही साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि झूठ ज्यादा देर तक टिक नहीं सकता और एक दिन सच सबके सामने आएगा। मालीवाल ने चेतावनी दी कि जो लोग उनके खिलाफ झूठ फैला रहे हैं, उन्हें अदालत का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जब सच सामने आएगा, तो वे लोग अपने परिवारों से भी नजरें मिलाने लायक नहीं रहेंगे।
स्वाति मालीवाल का यह बयान कई सवाल खड़े करता है। आखिर क्या कारण है कि उनके खिलाफ अचानक से ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं? क्या यह सत्ता के गलियारों में चल रही साजिश है या फिर किसी व्यक्तिगत प्रतिशोध का परिणाम? मालीवाल का यह आरोप कि उनके खिलाफ ट्रोल आर्मी लगाई गई है और उनके निजी वीडियो की खोज की जा रही है, बहुत ही गंभीर है और इस पर गहन जांच की आवश्यकता है।
इस पूरे मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि मालीवाल ने कहा कि उनके खिलाफ जो भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था, वह पूरी तरह से फर्जी है। इस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी रोक लगा रखी है और माना है कि पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ है। फिर भी, इस मामले को लेकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश क्यों की जा रही है?
मालीवाल के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह स्पष्ट है कि इस पूरे घटनाक्रम का गहन विश्लेषण और निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए ताकि सच सबके सामने आ सके। साथ ही, यह भी जरूरी है कि सत्ता और राजनीति के खेल में किसी की छवि को धूमिल करने के प्रयासों को रोका जाए और न्याय की स्थापना हो।
स्वाति मालीवाल ने जिस दृढ़ता और साहस के साथ इस पूरे मामले का सामना किया है, वह काबिले तारीफ है। उन्होंने साबित किया है कि जब तक सच्चाई की ताकत आपके साथ होती है, तब तक कोई भी झूठ आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या होता है और सच्चाई कब सबके सामने आती है।
राजनीति में ऐसी घटनाएँ अक्सर होती हैं, लेकिन यह आवश्यक है कि हम सच को समझने का प्रयास करें और न्याय की मांग करें। स्वाति मालीवाल का यह बयान हमें यही सिखाता है कि सच्चाई के साथ खड़े होने का साहस हमेशा महत्वपूर्ण होता है, चाहे स्थिति कितनी भी मुश्किल क्यों न हो।